प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने उनका रास्ता रोका और लगभग बीस मिनट तक उनका काफिला एक पुल पर रुका रहा। प्रधानमंत्री किस राजनीतिक दल से संबंध रखते हैं, यह ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं है, ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि वे हमारे देश का नेतृत्व और पूरे विश्व में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। देश की जनता का बहुमत उनके साथ है और अपने ही देश के एक राज्य में उन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े, तो यह बहुत ही दुखद है। इससे पहले भी हम सुरक्षा में चूक के कारण दो प्रधानमंत्री खो चुके हैं। देश के प्रधानमंत्री के सामने अपनी मांगों को रखना एक अलग बात है, पर उनका रास्ता रोकना किसी अपराध से कम नहीं कहा जा सकता। क्या पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के लिए पर्याप्त समय नहीं था? पंजाब पुलिस अपनी निष्ठा और शौर्य के लिए प्रसिद्ध है, फिर प्रदर्शनकारी कैसे सड़क पर जमे रहे, यह समझ से परे है।
प्रश्न यह भी विचारणीय है कि प्रधानमंत्री की यात्रा के रूट की जानकारी किसने प्रदर्शनकारियों तक पहुंचाई? रास्ता रोको, मांग मनवाओ की नीति कहीं न कहीं अनियंत्रित होती दिख रही है। यह शांतिपूर्ण से अशांतिपूर्ण हो, उससे पहले ही राज्य सरकारों को इस पर विचार करना होगा। राजनीतिक दल ऐसे प्रदर्शनों की पैरवी करके इसे बढ़ावा देने से बचें। ऐसे में विपक्ष के एक नेता का यह बयान देना कि प्रधानमंत्री जी को अपने किसान विरोधी रुख पर आत्ममंथन करना चाहिए, कम से कम इस घड़ी में तो उचित नहीं कहा जा सकता। विचारों में मतभेद संभव है, पर अपनी उन मांगों के लिए ये कदम उठाना, जिन्हें सरकार पहले ही मान चुकी है, दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा। पंजाब अपने गरिमामय आतिथ्य स्वागत के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, वहां पर ऐसी घटना की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
पंजाब, एक सीमावर्ती राज्य है तथा सुरक्षा और बाहरी हस्तक्षेप के नजरिए से बहुत संवेदनशील है। ऐसे में किसी भी विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा राज्य सरकार का प्रथम कर्तव्य बनता है। कहीं ऐसा न हो कि प्रदर्शनकारियों की आड़ में आराजक तत्त्व इसका फायदा उठा कर किसी बड़े हादसे को अंजाम दे डालें। राज्य सरकार को विशिष्ट व्यक्तियों के सुरक्षा प्रबंधन का पुन: अवलोकन करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी चूक न होने पाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी इस प्रकरण की पूरी जांच करवानी चाहिए तथा गलती पाए जाने पर उचित करवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में पुनरावृत्ति न हो।
’राजेंद्र कुमार शर्मा, रेवाड़ी, हरियाणा