बीता वर्ष किसी के लिए बहुत अच्छा रहा होगा, किसी के लिए मध्यम, तो किसी के लिए खराब। किसी के घर में नन्ही किलकारियां गूंजी होंगी, तो किसी के यहां गृहस्थ जीवन का आरंभ यानी विवाह हुआ होगा। किसी को शिक्षा में उन्नति मिली होगी, किसी को व्यापार में। पर इसका एक पहलू और है, वह है दुख का। कोई अपने करीबियों को खोया होगा, किसी को असफलता हाथ आई होगी।
सुख और दुख एक सिक्के के दो पहलू हैं। ये हमारे जीवन का संतुलन बनाए रखते हैं। नव वर्ष पर व्यक्ति ने अपने मन में कोई निश्चय किया होगा, कोई प्रण लिया होगा। यह उचित भी है। लेकिन हम जो भी निश्चय करें, हमें दोनों पक्षों के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी सब कुछ अच्छा होने के विषय में सोच कर चल रही है। यह उचित है, लेकिन जो भी आपकी अपने आप से अपेक्षा है, उसका दूसरा पक्ष भी सोच कर खुद को तैयार कर के चलना चाहिए। हम अपनी क्षमता का विश्लेषण कर के चले, अपनी कमजोरी, अवसर और भय को लिख लें। जिन विषयों पर हमें ज्यादा काम करना है, उसकी सूची बना कर अपने सामने रखें।
आत्महत्या के बढ़ते मामलों का एक कारण यह भी हैं कि हम खुद सब कुछ तय कर लेते हैं और जब उस अनुसार नहीं हो रहा होता है तो तनाव और अवसादग्रस्त हो जाते हैं। बचपन में नैतिक शिक्षा वाले पाठ में हमें यह सिखाया जाता रहा है कि जो हो रहा हैं, वह अच्छा है। जो हो गया, वह भी अच्छा था और जो होगा, वह भी अच्छा होगा। हम जिस काम में लगे हैं, उसमें अपना शत-प्रतिशत दें। देर हो सकती है, पर परिणाम अवश्य अच्छा होगा, धैर्य रखने की जरूरत है।
दरअसल, आज की पीढ़ी की धैर्य का ही स्तर नीचे गिरता जा रहा है। स्मार्टफोन हमें कितना भी स्मार्ट क्यों न बना दे, एक स्वस्थ जीवन को जीने का स्मार्ट तरीका और धैर्य धारण करना नहीं सिखा सकता। उसका रेडिएशन यानी विकिरण हमें चिड़चिड़ापन का शिकार बना रहा है। अपनों से दूर कर रहा है। यह कैसा स्मार्टफोन हैं, जो हमारे जीवन से खुशियों को दूर कर हमे अवसादग्रस्त कर रहा है।
आज युवा पीढ़ी के जीवन में एक ऐसा शत्रु बन बैठा है, जिससे निकालना मुश्किल है। यह एक वैश्विक संकट बनता जा रहा है, जो दीमक की तरह हमारे विचार, जीवन और हमारी आत्मा तक को खाए जा रहा। एक श्लोक में कहा गया है- ‘व्यसने वार्थकृच्छे वा भये वा जीवितान्तगते। विमृशंश्च स्वया बुद्ध्या धृतिमान नावसीदति।’
यानी शोक में, आर्थिक संकट में या प्राणों का संकट होने पर जो अपनी बुद्धि से विचार करते हुए धैर्य धारण करता है, उसे अधिक कष्ट नहीं उठाना पड़ता। इस नव वर्ष में प्रण किया जा सकता है कि कैसी भी परिस्थिति हो, हम खुद को तैयार कर धैर्य से सामना करेंगे।
शिवानी सिंह, शोधार्थी, लखनऊ विवि
खतरे के सामने
हाल में चीन की अध्यक्षता और कनाडा की मेजबानी में मांट्रियल शहर में आयोजित पंद्रहवें संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन कुनमिंग मांट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा नामक ऐतिहासिक समझौते के साथ समाप्त हो गया। इसके तहत 2030 तक विश्व में तीस फीसद भूमि तटीय इलाकों और जल क्षेत्रों का संरक्षण सुनिश्चित करने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण के लिए तेईस लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
धरती पर परिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने और जीवन की निरंतरता को बनाए रखने में जैव विविधता की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है। जैवविविधता से तात्पर्य धरती पर मौजूद जीवों और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों से है। इसके बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।
इस समझौते में इस दशक के अंत तक समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्र के नुकसान को शून्य के करीब ले जाने, जैव विविधता के करीब रह रहे स्थानीय समुदायों के अधिकारों का सम्मान और संरक्षण करने, मानव और वन्यजीव संघर्ष को कम करने, पौधे और जीवों के अवैध व्यापार पर रोक लगाने, प्रदूषण को न्यूनतम करने, वैश्विक खाद अपशिष्ट को आधा करने और ऐसी आर्थिक सहायता को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने जैसे मुद्दे शामिल हैं, जिन पर खड़ी समस्याएं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जैव विविधता के विनाश का कारण बन रही हैं। आज के समय में बढ़ती जनसंख्या जंगलों की कटाई, बिगड़ते पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती औद्योगिक गतिविधियों से जैव विविधता का तेजी से क्षरण हो रहा है। लिहाजा जैव विविधता पर मंडराता खतरा मानव अस्तित्व के लिए भी जोखिम बढ़ा रहा है।
सिमरन चौबे, दिल्ली</p>
फुटबाल के जादूगर
फुटबाल के महान खिलाड़ी पेले का निधन हो गया। पेले को ‘फुटबाल का भगवान’ कहा जाता था। दुनिया के मानचित्र में ब्राजील को विशिष्ट पहचान देने वाले पेले ने अपने देश को तीन बार विश्व कप चैंपियन बनाया। 1958, 1962 और 1970 के विश्व कप फुटबाल में ब्राजील को चैंपियन बनाने में उनकी भूमिका अहम थी। उन्होंने विश्व कप फुटबाल में ‘हैट्रिक’ भी की। पेले के कारण ही दुनिया में ब्राजील को पहचान मिली। विश्व क्रिकेट के इतिहास में जो स्थान आस्ट्रेलिया के सर डान ब्रेडमैन का है और हाकी में जो स्थान जादूगर ध्यानचंद का है, वही स्थान फुटबाल में पेले का है।
1977 में पेले के कासमास क्लब ने भारत में आकर मोहन बागान के साथ एक प्रदर्शनी मैच खेला था। वह ऐतिहासिक मैच 2-2 की बराबरी पर समाप्त हुआ था। कोलकाता के ईडन गार्डन में आयोजित उस मैच को लगभग एक लाख दर्शकों ने देखा था। 1995 से 1998 तक पेले ब्राजील के खेल मंत्री भी रहे। ब्राजील में एक निर्धारित तिथि को ‘पेले दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। फुटबाल सम्राट पेले को सबकी ओर से श्रद्धांजलि।
अनित कुमार राय टिंकू, धनबाद
पर्यावरण का नासूर
दशकों पहले लोगों की सुविधा के लिए प्लास्टिक का आविष्कार किया गया, लेकिन धीरे-धीरे यह अब पर्यावरण के लिए ही नासूर बन गया है। प्लास्टिक और पालिथीन के कारण पृथ्वी और जल के साथ-साथ वायु भी प्रदूषित होती जा रही है। हाल के दिनों में मीठे और खारे दोनों प्रकार के पानी में मौजूद जलीय जीवों में प्लास्टिक के रसायनों से होने वाले दुष्प्रभाव नजर आने लगे हैं। इसके बावजूद प्लास्टिक और पालिथीन की बिक्री में कोई कमी नहीं आई है।
शैली आर्या, रांची