प्रदूषण महानगरों की एक बड़ी समस्या है। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण किसी आफत से कम नहीं है। मगर दिल्ली में केंद्र, दिल्ली सरकार एवं नगर निगम होने के बावजूद भी प्रदूषण से निपटना आसान नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण है दिल्ली के ग्रामीण, जेजे क्लस्टर एवं अनधिकृत कालोनियों की सड़कों और गलियों में टूट-फूट और ट्रैफिक जाम के कारण धूल भरा माहौल बना रहता है।
इसके अलावा दिल्ली में पराली एक बड़ी समस्या है, जो कई बार विकराल रूप धारण कर लेती है। इसके कारण सांस की बीमारी से बच्चों व वृद्धों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक खबर के मुताबिक, केवल दिल्ली में उन्नीस लाख वाहन बिना प्रदूषण प्रमाणपत्र के सड़कों पर हैं। हालांकि सरकारों ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इसके बावजूद इस समस्या का कोई समाधान दिखाई नहीं देता है।
यह भी देखा गया है कि सरकारों की अधिकांश योजनाएं शहरों तक सीमित हैं। ‘धुआंरोधी गन’ का प्रयोग शहरी क्षेत्रों के अलावा हर जरूरी जगह किए जाने की जरूरत है। सीमेंट की सड़कों की जगह डामर की सड़कें बनाई जाएं। इन क्षेत्रों में सीवर और ड्रेनेज व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने की जरूरत है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकारों को मिलकर एक ठोस व्यापक एवं कारगर योजना बनाने की आवश्यकता है।
- वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली