देश की सियासत में एक बार फिर अलग-अलग राज्यों में मुख्यमंत्री बदलने का सिलसिला जारी है। एक ओर गुजरात की भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया, तो दूसरी ओर पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफे की आंच सिर्फ राजनीतिक अखाड़े में ही नहीं, बल्कि खेल के मैदान में भी देखने को मिल रही।

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने भी आइपीएल और टी-20 विश्व कप में, कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया है। कांग्रेस पार्टी ने भी चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया ‘कप्तान’ बनाया है। भारतीय क्रिकेट से भी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि आखिर किसे मिलेगी भारत की टी-20 टीम की बागडोर! कयास लगाए जा रहे कि रोहित शर्मा को कप्तानी का मिल सकता है मौका। हालांकि यह सब अभी देखने की बात होगी। लेकिन असली परीक्षा तो काम और खेल के मैदान में होनी है।
’अमन जायसवाल, दिवि, दिल्ली</p>

विडंबना की परतें

अंधविश्वास की जड़ें (चौपाल, 20 सितंबर) पढ़ा, जिसमें बिहार और मध्यप्रदेश की घटनाओं का जिक्रथा। वास्तव में आधुनिक समाज में इस तरह की घटनाओं का होना यह साबित करता है कि आज भी हमारे समाज में कई अमानवीय कुरीतियां व्याप्त है, जिनका खंडन और खत्म होना अभी शेष है। सामाजिक आडंबर, भेदभाव, छुआ-छूत की भावना आज भी समाज में देखी जाती हैं। भ्रष्टाचार का बाजार गर्म है। शिक्षा और आध्यात्मिक नैतिकता ही हमें इस प्रकार के अंधविश्वास और अमानवीय कृत्यों से उबार सकती हैं।

यह हमारे समाज की विडंबना है कि जहां एक ओर देश अंतरिक्ष तक पहुंच कर विज्ञान की गौरव गाथा का बखान कर रहा है, वहीं आज भी देश के कई हिस्से सामाजिक आडंबर और अंधविश्वास से जकड़े हुए हैं। इनके निदान के लिए शिक्षा और जागरूकता की जरूरत है, जिसके लिए सरकार को और अधिक प्रयास करना होगाष शिक्षा ही ऐसे अमानवीय कृत्यों का हल साबित हो सकती है।
’अभिषेक जायसवाल, सतना, मप्र

महत्त्वाकांक्षाओं का टकराव

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि उन्हें पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। सिद्धू ने एक बड़ी महत्त्वाकांक्षा पाली हुई है। उन्होंने आलाकमान को अपनी शक्ति का प्रदर्शन दिखाया और आलाकमान उनके सामने असहाय हो गया। यह एक बड़ी गलती थी।

पंजाब का पिछला विधानसभा चुनाव अमरिंदर सिंह के चेहरे पर ही लड़ा गया था। लोगों ने अमरिंदर सिंह के नाम पर ही अपना वोट डाला था। सिद्धू केवल एक विशिष्ठ क्षेत्र के नेता हैं। शीर्ष नेतृत्व के पास ऐसे विवाद और असली मुद्दे को हल करने की इच्छाशक्ति नहीं है, इसलिए वह तात्कालिक फायदे के लिहाज से सिर्फ चेहरा बदल कर मसले पर पर्दा डालना चाहता है।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र