लेकिन वर्तमान समय में सबसे बड़ी चुनौती है इसका कुशल क्रियान्वयन और नियमन नहीं होना। साथ ही आवश्यक आंकड़ों का अभाव होना। कितने जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल रहा है? कितने गरीब लोग अभी भी इसके लाभ से वंचित है?

लोग सरकारी अस्पताल के इलाज और निजी अस्पताल के खर्च- दोनों से संतुष्ट नहीं हैं। साथ ही निजी अस्पताल मरीज की छोटी बीमारी को भी कागजों में बड़ा बनाकर ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं। इससे लोगों को और सरकार को बीमा में नुकसान होता है। कभी सरकार को लगता है कि निजी अस्पताल जरूरत से ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं, इसलिए सरकार पैसा देने में देरी करती है, जिससे मरीजों के इलाज में देरी होती है।

आखिर ऐसा क्यों है और यह कब तक चलता रहेगा? इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाया जाए। निजी अस्पतालों में अचानक निरीक्षण को बढ़ावा दिया जाए और साथ ही इलाज की सफलता के आंकड़े जुटाए जाएं। सरकारी और निजी अस्पतालों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रेटिंग दी जाए और रेटिंग देने की प्रणाली निष्पक्ष तथा वस्तुनिष्ठ हो, जो योजना के लाभार्थियों की राय या प्रतिक्रिया पर आधारित हो। इन सब कार्यों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है राजनीतिक इच्छाशक्ति का मजबूत होना।
आरती रैकवार, भोपाल</p>

इंसानियत का तकाजा

यह वाकया उन दिनों का है जब दिवंगत लालबहादुर शास्त्री भारत के गृह मंत्री थे। उनके सरकारी निवास का एक ओर का दरवाजा जनपथ की तरफ था और दूसरा दरवाजा अकबर रोड की तरफ। उस जमाने में आज की तरह मंत्रियों के लिए जेड श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। एक दिन दो श्रमिक महिलाएं घास का बोझ उठाए घुमावदार लंबे रास्ते से बचने के लिए छोटे रास्ते से बाहर निकलने की कोशिश में थीं तो उन पर एक चौकीदार की नजर पड़ गई।

चौकीदार गुस्से में उन्हें कुछ कहते हुए रोकने लगा। संयोगवश तभी शास्त्री जी किसी कार्यवश बाहर आए तो उन्हें शोर सुनाई पड़ा। वे तत्काल चौकीदार के पास जाकर बोले, ‘तुम्हें इन गरीब औरतों के सिर पर रखा हुआ बोझ नजर नहीं आ रहा जो तुम उन्हें यों रोके हुए खड़े हो? उन्हें इस रास्ते से बाहर जाने दो।’
सुभाष चंद्र लखेड़ा, द्वारका, नई दिल्ली</p>

बारिश का सितम

यों मानसून विदा होने की कगार पर है, पर इसने सितंबर के महीने में सितम ढहाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम- सभी जगह भारी बारिश होने के कारण यातायात व्यवस्था ठप पड़ गई। सड़कों पर कई-कई घंटे जाम रहा। गांव के साथ-साथ कई शहरी इलाके भी तालाबों में तब्दील हो गए।

बारिश के कारण सभी जगह जलभराव देखने को मिला, जिसके कारण न तो लोग अपने दफ्तर जा पाए और न ही बच्चे अपने स्कूल। बारिश के कारण कई इमारतों को क्षति पहुंची और कई घर भी गिर गए, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल भी हुए। भारी बारिश ने प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है। स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले इलाके भी बारिश के कारण जलमग्न हो गए।
मैना कटारिया, फरीदाबाद