यह भारत और पूरे विश्व के लिए एक बड़ी समस्या है। इसे कम करने के लिए अनेक कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की मानें तो 2019 के बाद से भुखमरी और बढ़ी है। विश्व में भुखमरी और इससे संबंधित बीमारियों से प्रतिदिन पच्चीस हजार लोगों की मृत्यु होती है भारत में इस समय बीस करोड़ लोग भुखमरी की समस्या की जद में हैं। इसी कारण बच्चों की आयु के अनुपात में वजन और लंबाई में कमी देखी जा रही है।

भारत में अनाज का उत्पादन तो होता है, लेकिन उत्पादन का हर पांचवां हिस्सा बर्बाद हो जाता है। सरकारी गोदामों में टनों अनाज सड़ जाता है। इसे रोकने के लिए सरकारें फसल बीमा योजना, मध्याह्न भोजन, जनवितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से अनाज का वितरण उचित समय पर करके रोक सकती हैं। लोगों को भी इस पर विशेष ध्यान देना होगा कि व्यर्थ में फेंका जाने वाला भोजन बचने और फेंके जाने से पहले किसी के पेट में जाने की व्यवस्था की जाए, जिससे भुखमरी कम हो सके।
रिंकू जायसवाल, सिंगरौली

सौहार्द की खातिर

‘नफरत के खिलाफ’ (संपादकीय, 24 अक्तूबर) अत्यंत विचारोत्तेजक और सामायिक है। यह सर्वविदित तथ्य है कि आजकल देश में चहुंओर नफरत, वैमनस्य और सांप्रदायिक विद्वेष का माहौल है। अत्यंत दुखद और चिंताजनक स्थिति यह है कि तमाम तरह के सांप्रदायिक प्रदूषण और इसके असीमित फैलाव के बावजूद किसी भी जिम्मेदार पक्ष को इसकी कोई परवाह दिखाई नहीं देती।

पुलिस, प्रशासन या सरकार, सब के सब केवल उदासीन तथा मूकदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। गनीमत है कि भारत के सर्वोच्च न्यायलय ने आखिरकार इस महत्त्वपूर्ण मामले में कोई सकारात्मक कदम उठाया है और सख्त तेवर दिखाए हैं। नफरत फैलाने वाले कार्यक्रमों एवं भाषणों पर चिंता जताते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस और प्रशासन किसी शिकायत का इंतजार किए बिना स्वत: संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे। साथ ही अदालत ने चेतावनी भी दी कि प्रशासन की ओर से इसमें किसी भी प्रकार की देरी या ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा और यह कोर्ट की अवमानना होगी।

देश में शांति और सद्भाव का वातावरण तभी कायम रहेगा, जब विभिन्न समुदायों के लोग परस्पर सौहार्द और बंधुत्व के भाव से रहें। सर्वोच्च न्यायलय ने कड़ा रुख अपनाते हुए अपना न्याय का धर्म निभाया है। अब सरकार की बारी है कि त्वरित रूप से अपनी पुलिस और प्रशासन को सक्रिय करे और नफरत के कारोबार में लिप्त सभी पक्षों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करे। इसके अलावा झूठी, अपुष्ट और भ्रामक खबरों और अफवाहों के प्रचार-प्रसार पर भी संपूर्ण पाबंदी लगनी चाहिए, ताकि सामाजिक माहौल स्वस्थ रहे।
इशरत अली कादरी, खानूगांव, भोपाल</p>