पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बड़बोलेपन का नतीजा यह हुआ कि सऊदी अरब ने उसकी कर्ज की सीमा घटा दी। उसके बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा स्थिति को संभालने की कोशिश में सऊदी अरब गए, मगर प्रिंस सलमान ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया।

विदेशी मदद के भरोसे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए विदेश मंत्री कुरैशी बेजिंग के दौरे पर गए। मगर वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया, बल्कि रिकॉर्ड किया हुआ संदेश भेज दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इमरान खान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान की विदेश नीति गर्त में जा रही है?

जिन देशों पर उन्हें सबसे ज्यादा भरोसा था, वही अब मुंह क्यों मोड़ने लगे हैं? जाहिर है, आतंकवाद और कट्टर धार्मिक उन्माद फैला कर उसे अब विश्व का और समर्थन नहीं मिल सकता। इससे पाकिस्तान को सबक सीखना चाहिए।
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी (जमशेदपुर)