प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर को बीस हजार करोड़ की सौगात दी। वहां के लोगों को भरोसा दिलाया कि आपके माता-पिता ने जिस तरह से जिंदगी गुजारी है, वैसी जिंदगी आपको जीने नहीं दूंगा। मोदी ने जमीनी स्तर से कश्मीरियों को जोड़ने का आह्वान किया। कश्मीर के लिए अनेक योजनाओं की आधारशिला रखी। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मोदी के भाषण को नाउम्मीद करार दिया।
जम्मू-कश्मीर में दौड़ती जिंदगी और नए सवेरे को खुशहाली से गले लगाते लोगों के जीवन में झांक कर देखें। आवाम खुश है और जीवन जीने का उत्साह मन में समाया हुआ है। अब घरों से निकलने में कोई खौफ नहीं है। इसके बाद भी महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की जनता की खुशी में भागीदार न बन कर जम्मू-कश्मीर में मोदी के भाषण से कुछ बदलने वाला नहीं है की भावना रखे हुए हैं।
उन्होंने मोदी पर आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में युवाओं को निराशा की ओर धकेल दिया है। रोजगार और व्यापार का अवसर बाहरी लोगों को दिया जा रहा है। खनन के पट्टे और शराब के लाइसेंस भी बाहरी लोगों को दिए जा रहे हैं। कश्मीर की स्थिति भयानक है। अभी की स्थिति और महबूबा मुफ्ती के शासनकाल की स्थिति की तुलना कर देखें कि कौन-सी सरकार सही थी और प्रमुख योजनाएं और युवाओं के लिए रोजगार किसने उपलब्ध कराया है। आज भी पाकिस्तान के गीत गाने वाली मुफ्ती को सोचना चाहिए कि हम कहा हैं?
कांतिलाल मांडोत, सूरत
सफल कूटनीति
कूटनीतिक क्षेत्र में अपने दम पर फैसले से भारत सरकार ने अपने सिर से एक बड़ा संकट टाल दिया है। दरअसल, भारत पाम आयल के लिए इंडोनेशिया जैसे कुछ देशों पर निर्भर रहता है। मगर इंडोनेशिया ने अपने देश में बढ़ते तेल और महंगाई के कारण पाम आयल पर पूरी तरह से रोक लगाने का ऐलान किया था। इंडोनेशिया ने जैसे ही पाम आयल रोकने का ऐलान किया, वैसे ही भारत ने अपना कुटनीति दांव खेल दिया। भारत अकेले ही इंडोनेशिया से लगभग पचास प्रतिशत पाम आयल खरीदता है।
इसलिए सबसे ज्यादा मुश्किल भारत को होने वाली थी। पाम आयल का उपयोग भारत में विभिन्न चीजों के लिए किया जाता है। अब भारत ने इंडोनेशिया को कच्चा पाम आयल जारी रखने के लिए पूरी तरह से मना लिया है। भारत के पास कच्चा पाम आयल को उपयोग लायक बनाने के लिए पावर प्लांट मौजूद हैं।
यह भारत के लिए राहत की खबर है, क्योंकि अगर पूरी तरह से पाम आयल पर रोक लग जाती, तो भारत के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं। लेकिन भारत अपने शानदार विदेश नीति और कूटनीति से यह संकट महज कुछ घंटों में ही दूर कर दिया है।
समराज चौहान, कार्बी आंग्लांग, असम</p>