इन दिनो पूर्वी यूरोप के यूक्रेन को लेकर रूस-अमेरिका में भौंहे तनी हुई हैं। रूस के मुकाबले अमेरिका लगातार सीमा पर सैन्य जमावड़ा कर रहा है। यूक्रेन को करोड़ों डालर की मिसाइल बिक्री ने संकट और बढ़ा दिया है। अगर दोनों देश इस मामले में उलझे तो विश्व शांति को खतरा पैदा हो सकता है। रूस और अमेरिका के बीच तल्खियां और बढ़ गई हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को 12.5 करोड़ डालर की जेवलिन एंटी टैंंक मिसाइल की बिक्री को मंजूरी दे दी है। यूक्रेन की सीमा पर रूस ने सैन्य जमावड़ा कर दिया है, वहीं प्रत्युत्तर में अमरीका भी पूरी तरह तैयारी में है। अमेरिका और नाटो के देशों के बीच बढ़ता तनाव दुनिया को अशांति की आग में झोंक सकता है। दोना महाशक्तियों को संयम बरत कर मामले का शांतिपूर्ण समाधान खोजना चाहिए।
’अमृतलाल मारू ‘रवि’, धार, मप्र

सिमटता लोकतंत्र

हांगकांग को दुनिया पूंजीवादी लोकतंत्र के रूप में जाना जाता था। मानवाधिकार की रक्षा और खुद को अभिव्यक्त करने के लिए यहां के लोग दुनिया में सबसे ज्यादा आजाद हुआ करते थे। लेकिन 2021 के आते-आते सब-कुछ उलट-पुलट हो गया। अब वहां निरंकुश शासन है। लोगों से चीन का गुणगान करने, स्तुति गान करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।

हाल ही में वहां विधान परिषद् का चुनाव हुआ, जिसमें सिर्फ चीनी समर्थकों को ही लड़ने की अनुमति दी गई। वहां के मीडिया सम्राट के रूप में ख्यात जिमि लाइ को थ्येन-आन-मन चौक जनसंहार को चिह्नित करने वाली एक निगरानी में भाग लेने के लिए तेरह महीने जेल की सजा सुना दी गई। इतना ही नहीं, इसी जनसंहार को जीवंत रखने वाली जो मूर्ति, हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रांगण में खड़ा किया था, उसे भी चीनी अधिकारियों के आदेश पर गिरा दिया गया। अब आगे शायद ताइवान की बारी है। देखते देखते लोकतंत्र की ताकत और सिमटती जाएगी । दुनिया कल भी तमाशा देख रही थी, आज भी देख रही है? कब तक ऐसा चलता रहेगा।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>