पिछले दिनों म्यांमा समेत अफगानिस्तान, इस्राइल दूतावास और यमन में भयानक उथल-पुथल देखने को मिला। म्यांमा में हुए तख्तापलट के बाद से आंग सांग सू की को वहां की सेना ने हिरासत में ले लिया। लंबे समय के बाद हुए चुनाव में जीत दर्ज करने पर सेना ने चुनाव में धांधली का हवाला देते हुए उन्हें नजरबंद कर दिया।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत कई देशों ने सैन्य तख्तापटल को खारिज करते हुए आंग सांग सू की को छोड़ने और लोकतंत्र की गरिमा को बचाने की बात कही है। दूसरी ओर भारत में इस्राइली दूतावास के पास हुए छोटे धमाके के बाद सभी सुरक्षा एजेंसियों के भीतर हलचल मची हुई है। इसकी जांच में इस्राइल के मोसाद और भारत की जांच एजेंसी रॉ भी पुरजोर तरीके से लगे हुए हैं।
इस्राइल के मोसाद की कहानी कौन नहीं जानता? अपने नागरिकों को आतंकवादियों से बचाने के लिए मोसाद द्वारा दूसरे देश में घुस कर, मार कर बचा कर लाने के किस्से मशहूर हैं। अफगानिस्तान लगातार बम धमाके, हमले और नागरिक असुरक्षा का शिकार बना हुआ है। हाल ही में हुए पुलिस चौकी पर हमले के बाद कई सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई। बताया जा रहा कि तालिबान के आतंकी संगठन ने ऐसी हरकतें की हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार बढ़ रही हिंसा के मामले सर्वांगीण विकास में बाधा हैं। ऐसे में विकसित और संयुक्त राष्ट्र को इसमें स्वार्थ से ऊपर उठ कर दखल देना होगा, अन्यथा पूंजीवादी और विकसित देशों का दबदबा बढ़ने से विकासशील देशों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।
’अमन जायसवाल, दिल्ली विवि, दिल्ली
बदलाव का भ्रम
बीते कुछ दशकों में दुनिया के कई देशों ने उग्र राष्ट्रवादी शासकों का शासन देखा है। सर्वनाश के उस काल की उन वीभत्स तस्वीरों को देख कर आज भी हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन यातना शिविरों की सामूहिक हत्याओं के बारे में सुनने के बाद ऐसी सोच बन गई थी कि अब इस धरती पर वैसा राष्ट्रवाद दोबारा नहीं आएगा।
मगर इक्कीसवीं सदी के शुरू होते ही दुनिया के कई भाग में इसका पुनर्जन्म होना शुरू होने लगा। नफरत, बंटवारा, शरणार्थी समस्या, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों, अश्वेतों के विरोध को आधार बनाकर कथित राष्ट्रवादी लोग फिर से कुकुरमुत्ते की तरह धरती में उग आए हैं। अगर दुनिया इनको नहीं रोकती तो फिर विश्व सामूहिक कब्रों का दीदार होने लगेगा। इस संदर्भ में कनाडा सरकार के उस फैसले का स्वागत होना चाहिए, जिसमें ‘प्राउड बॉयज’ नमक उग्र राष्ट्रवादी गुट को आतंकवादी घोषित कर दिया गया है। बाकी देशों को भी ऐसे ही कदम उठाने चाहिए। नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>