अनेक विद्वानों ने जीवन को इस रूप में देखा या जिया है कि जीवन एक संघर्ष है। संघर्ष-हीन जीवन मृत्यु का पर्याय है। संघर्ष वह अज्ञात शक्ति है जो व्यक्ति को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। इसलिए संघर्ष के अभाव में जीवन का सही आनंद नहीं उठाया जाता।
जीवन में संघर्ष है प्रकृति के साथ, स्वयं के साथ, परिस्थितियों के साथ। तरह-तरह के संघर्षों का सामना आए दिन हम सबको करना पड़ता है और इनसे जूझना होता है। जो इन संघर्षों का सामना करने से कतराते हैं, वे जीवन से भी हार जाते हैं, जीवन भी उनका साथ नहीं देता। हर सफल इंसान की जिंदगी में एक संघर्ष की कहानी जरूर होगी।
हम एक सफल इंसान को तो देखकर बहुत खुश होते हैं और उसके लिए गर्व महसूस करते हैं। पर उनके जीवन की सफलता के पीछे की संघर्ष की कहानी से बिल्कुल अनजान होते हैं! जब हम जीवन में संघर्ष कर रहे होते हैं, तो आंतरिक शांति बनाए रखना बहुत मुश्किल है। एक बात याद रखना चाहिए कि जब हमारे जीवन में चीजें अलग हो रही होती हैं तो वे हमारे भले के लिए ही होती हैं।
हमलोग बहुत ज्यादा सोचते हैं। सोचने से हमारे जीवन में बहुत सारी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस तथ्य को समझने की कोशिश करनी चाहिए कि जो हमारे साथ घट रहा है, वह हमें बदल नहीं सकता। अपनी ताकत की नियंत्रण-कुंजी हमारे साथ है। संघर्ष कठिन पाठ्यक्रम है, लेकिन अगर हम आशा खो देते और महसूस करने लगते हैं कि हम पर इसका बुरा असर होता है तो जीवन कठिन हो जाएगा। हम स्वयं और संघर्ष के बीच मध्यस्थता करें तो पाएंगे कि हम तनाव से बाहर आने के बाद आंतरिक शांति महसूस कर रहें हैं।
दुनिया में दो प्रकार के मनुष्य होते हैं। एक वे जो सामान्य रूप से चलने वाली जिंदगी जीना पसंद करते हैं और बढ़ने के लिए जीवन में आनेवाली कठिनाइयों को पसंद नहीं करते। दूसरी तरह के वे लोग होते हैं, जो अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं और उसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष का रास्ता चुनते हैं। ऐसे लोगों का जीवन आसान नहीं होता। इन्हें हर मोड़ पर विभिन्न रुकावटों का सामना करना पड़ता हैं। पर ऐसे लोग इन रुकावटों का सामना करते हैं। अनेक बार असफलता भी इनके हाथ लगती है। पर इससे ये हताश नहीं होते और अपनी गलतियों को सुधारते हैं और नए सिरे से संघर्ष करने में जुट जाते हैं!
अमृता, आसनसोल।
उम्मीद के उलट
अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी, जिन्हें प्रधानमंत्री ने आमंत्रित करके सम्मानित किया था, कुश्ती संघ के प्रधान और भाजपा के सांसद बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण को लेकर पिछले दो-तीन महीनों से दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना दे रहे थे। लेकिन उन्हें धरना स्थल से हटाने के लिए जो किया गया, वह दुनिया ने देखा।
इन्हें घसीट कर हटाया गया और कई धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया। इस मामले में आरोपी के खिलाफ दो एफआइआर भी दर्ज हैं, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिन महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोप हैं, वे आोरपी को सलाखों के पीछे देखना चाहती हैं। लेकिन हकीकत सबके सामने है।
पूछा जा सकता है कि जिन महिला खिलाड़ियों को पदक जीतने पर सबने गर्व जाहिर किया था, उन्हीं का यौन शोषण होने पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती! धरना देने वाली महिला खिलाड़ियों के तंबू उखाड़ दिए गए और आगे धरने पर बैठने की अनुमति भी नहीं दी गई! निराश होकर वे खिलाड़ी अपनी मेहनत और बलबूते पर जीते हुए पदक गंगा में बहाने जा रहे थे तो कुछ खाप पंचायत के प्रभावशाली व्यक्तियों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और आश्वासन दिया कि पांच दिन के अंदर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे! यह एक भयानक स्थिति है!
यह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ आंदोलन को अनदेखा करने वाली ही नहीं, बल्कि इसका असर हो सकता है कि भविष्य में महिला खिलाड़ी खेलों के लिए आगे भी नहीं आएंगी! सरकार को खेल संघ के प्रधानों पर राजनेताओं की नियुक्ति के बदले में महिला खिलाड़ियों की ही नियुक्ति करनी चाहिए और उन्हें शोषण से सुरक्षा देनी चाहिए! कानून को अपना काम पूरी निष्पक्षता से करना चाहिए।
शाम लाल कौशल, रोहतक, हरियाणा।
दावों से आगे
मानसून की दस्तक नजदीक है, लेकिन गलियों और बड़े-बड़े नालों की सफाई सिर्फ कागज पर ही दिखाई दे रही है। अभी हाल की बारिश ने नागरिक निकायों की पोल खोल कर रख दी है। जगह-जगह पानी इसलिए इकट्ठा हो रहा है कि नालियां बंद हैं, सीवर प्लास्टिक औरर कूड़ा-कर्कट से भरे हुए हैं। हाल ही में निहाल विहार में देखने में आया कि वहां का पूरा नाला ही जलकुंभियों और कूड़ा-कर्कट से भरा पड़ा है।
ऐसा लगता है कि सभी विभाग गहरी निद्रा में सो रहे हैं। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को खुद भी जागना होगा और युद्धस्तर पर सभी विभागों को भी जगाना होगा। अमृतकाल के पचहत्तरवें वर्ष में स्वच्छता और नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देना सभी सरकारों का मूलमंत्र होना चाहिए।
आरके शर्मा, दिल्ली।
गर्व की बात
हाल के अमेरिकी प्रवास के दौरान वहां गुटेनबर्ग, न्यू जर्सी में एक नजदीकी अस्पताल में जाने का अवसर मिला। ‘रिवरसाइड पीडियाट्रिक ग्रुप’ नामक इस अस्पताल में एक जगह मोटे अक्षरों में दीवार पर अंग्रेजी में लिखा हुआ है- ‘बी द चेंज यू विश टू सी इन द वर्ल्ड’ यानी दुनिया में बदलाव की कामना रखते हो तो पहले खुद को बदलो।
इस वाक्य के नीचे जो नाम लिखा हुआ है, उसे पढ़कर फक्र हुआ कि आज भी पूरी दुनिया उन बातों पर चलने की कोशिश कर रही है जो उस पुण्यात्मा ने हमें समझाने की कोशिश की थी। वह नाम है- गांधी!
सुभाष चंद्र लखेड़ा, द्वारका, नई दिल्ली।