संपादकीय ‘वाजिब आपत्ति’ (10 जून) पढ़ा। खालिस्तान समर्थकों के लिए पाकिस्तान के बाद विश्व में कोई सुरक्षित जगह है, तो वह कनाडा ही है। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों द्वारा भारत-विरोधी गतिविधियों को पिछले कई वर्षों से संचालित किया जा रहा है। यह सब इतने बड़े पैमाने पर होता है कि संपूर्ण विश्व को इसकी खबर रहती है।

कनाडा का इन भारत-विरोधी अलगाववादी शक्तियों को खुली छूट देने का मतलब परोक्ष रूप से भारत में अस्थिरता बढ़ाने में सहयोग करना ही होगा। अलगाववादियों द्वारा भारत में ‘आपरेशन ब्लू स्टार’ की बरसी के पूर्व कनाडा के ब्रैंपटन शहर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शहादत की झांकी बना कर पांच किलोमीटर लंबी यात्रा निकाली और भारत-विरोधी प्रचार किया गया।

निश्चित ही कनाडा सरकार ने जान बूझकर इस घटनाक्रम को अनदेखा किया। भारत में हिंसा को बढ़ावा देने और पालने-पोसने वाले चरमपंथियों को कनाडा सरकार नियंत्रित नहीं करती, तो भारत-कनाडा संबंधों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना निश्चित है। इस प्रकार की भारत-विरोधी गतिविधियों पर भारतीय विदेश मंत्री की आपत्ति उचित है।
रामबाबू सोनी, कसेरा बाजार, इंदौर।

नजर विश्वकप पर

क्रिकेट का नाम आते ही क्रिकेट प्रेमियों का दिल खुश हो जाता है। उनके मन में उनके पसंदीदा खिलाड़ी का चेहरा उभरने लगता है। हालांकि सभी लोगों को पसंदीदा खिलाड़ी के बाद या कहें कि उससे भी पहले कोई चेहरा या नाम दिखाई और सुनाई देता है तो वह महेंद्र सिंह धोनी का ही है। धोनी के बारे में सब जानते हैं कि उनके प्रति दीवानगी सिर्फ नाम नहीं, उनके काम के लिए है।

एक तरफ भारतीय क्रिकेट टीम बड़े मुकाबलों में जीत के लिए संघर्ष करती नजर आती है। वहीं धोनी ने अपनी कप्तानी में कई ऐसे काम किए हैं, जिन्हें चमत्कार से कम नहीं कहा जा सकता। यही कारण है कि इस साल हुए आइपीएल के मुकाबलों में धोनी को बहुत प्रेम मिला। चेन्नई सुपर किंग्स के सभी मुकाबलों में मैदान घरेलू मैदान नहीं, बल्कि पीले रंग में रंगे दिखाई दिए।

आइपीएल में धोनी की दीवानगी को देखकर भी उनका टीम इंडिया के लिए योगदान को आंका जा सकता है। यही वजह है कि आइपीएल फाइनल की रात चेन्नई सुपर किंग्स की जीत का जश्न पूरे देश में मनाया गया। टीम में खिलाड़ियों के नाम और काम देखें तो टीम बहुत मजबूत नजर आती है, लेकिन प्रदर्शन को देखकर यह कहना सही नहीं लगता। ऐसे में लगता है कि भारतीय क्रिकेट टीम आज भी किसी सफल नेतृत्व की तलाश कर रही है।

खिलाड़ियों के आंकडें देखें तो वह कहीं न कहीं एक-दूसरे को पीछे छोड़ते हुए नजर आते हैं, लेकिन इन सबके बाबजूद जब परिणाम पक्ष में न हो तो सिर्फ क्रिकेट प्रेमियों नहीं, बल्कि खिलाड़ियों को भी निराशा होती है। सबसे ज्यादा आशा होने पर निराशा हाथ लगने से सभी का दिल दुखी हो जाता है। हालांकि उम्मीद है कि खिलाड़ी अपने प्रदर्शन में हुई गलतियों में सुधार करेंगे। अक्तूबर में होने वाले क्रिकेट के महाकुंभ वनडे वर्ल्ड कप 2023 की तरफ सिर्फ भारत नहीं, बल्कि सभी की नजर होगी। ऐसे में भारत को भी जीत दिलाने के लिए खिलाड़ियों तो खूब संघर्ष करना होगा।
अमन माहेश्वरी, शाहदरा, दिल्ली।

नक्सली बेल

नक्सली गतिविधियों के लिए कुख्यात रहे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जिस तरह सुरक्षाबलों के एक वाहन को नक्सलियों ने बारूदी सुरंग से उड़ा कर दस जवानों की जान ले ली, वह काफी दुखद है। हमेशा कहा जाता है कि अब छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद खत्म हो गया है, पर फिर से कोई न कोई बड़ी वारदात हो जाती है। आज इस तरह की घटनाएं न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए चिंताजनक हैं।

जाहिर है कि आज भी छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सक्रियता बनी हुई है और उन्हें किसी न किसी तरह से मदद भी मिल रही है। वरना क्या कारण है कि हर साल छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दावा किया जाता है कि अब छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद पूरी तरह से समाप्त हो गया है, पर फिर भी कोई न कोई बड़ी वारदात हो जाती है। यह तो साफ है कि नक्सलियों के साहस का दमन करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

इसलिए यह काम आज प्राथमिकता के आधार पर किया जाए तो बेहतर है। इसमें केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों ही मिलकर कार्य करें तो कामयाबी अवश्य मिलेगी। हमारे सैनिकों की जान आज इतनी सस्ती नहीं है कि इस तरह से उन पर हमले हों, उनकी सुरक्षा करना और उनके हित में सोचना केंद्र सरकार का बड़ा दायित्व है। क्या ही अच्छा हो कि केंद्र एवं राज्य सरकार नक्सलियों के संपूर्ण सफाई की कोई ठोस कारगर योजना बनाएं।
मनमोहन राजावत राज, शाजापुर।

भोजन की बर्बादी

दस जून के मुख्य लेख में कई रिपोर्टों का जिक्र था। एक तरफ दुनिया के 81.1 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं तो दूसरी ओर 93.1 करोड़ टन भोजन हर साल बर्बाद होता है, जो वैश्विक खाद्य उत्पादन का सत्रह फीसद है। दुनिया का एक तिहाई बर्बाद हुआ भोजन तीन अरब लोगों को खाना खिलाने के लिए काफी है। इससे विश्व की अर्थव्यवस्था को हर साल 37 लाख करोड़ का नुकसान होता है।

अगर भारत की बात करें तो यह भुखमरी सूचकांक 2021 में 101 वें और 2022 में 107 वें स्थान पर था। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में भुखमरी का स्तर बहुत अधिक है, इसके बावजूद भारत में औसतन प्रति व्यक्ति हर वर्ष पचास किलोग्राम भोजन बर्बाद होता है। भारत की लगभग 16.3 फीसद जनसंख्या कुपोषित है।

ऐसा नहीं कि भारत में खाद्य उत्पादन की कमी है, भारत का विश्व में दूध, केला, दाल में प्रथम तो गेहूं, सब्जियों के उत्पादन में दूसरा स्थान है, लेकिन भुखमरी का कारण कुल उत्पादन का 40 फीसद बर्बाद करना है, जिसकी कीमत बानबे हजार करोड़ रुपए के बराबर है ऐसा कहा जा सकता है कि भोजन की बर्बादी को कम करके बहुत हद तक सतत विकास लक्ष्य शून्य भुखमरी को प्राप्त किया जा सकता है।
रिंकू जायसवाल, सिंगरौली, मप्र।