रेलमंत्री ने इस साल के बजट में पूर्व घोषित योजनाओं को पूरा करने का इरादा जताते हुए नई रेलगाड़ियों की घोषणा न करके एक अच्छी शुरुआत की है। यदि इस समय नई रेलगाड़ियों की घोषणा होती तो राजनीति शुरू हो जाती। हर पार्टी और सांसद अपने क्षेत्र की अनदेखी की बात उठाता और हर क्षेत्र को तो नई रेल सेवा देना संभव नहीं। दूसरी ओर सरकार ने नई रेलगाड़ियों को धीरे-धीरे समय और मौका देख कर शुरू करने का विकल्प अपने पास रखा है जिससे विरोध भी कम होगा।
चार महीने का अग्रिम आरक्षण लागू करके एक तीर से दो शिकार किए गए गए हैं। जहां एक ओर रेलवे को करोड़ों रुपए 61 दिन से 120 तक यात्रा शुरू होने से पहले ही मिलते रहेंगे वहीं दूसरी ओर इतने लंबे अग्रिम आरक्षण में निरस्तीकरण ज्यादा होता है जो रेलवे की आय का एक बड़ा भाग है।
पांच मिनट में जिस अनारक्षित टिकट की बात कही गई है वह बिल्कुल भी संभव नहीं होगा। कितनी भी वेंडिंग मशीनें लगा लो, 90 प्रतिशत लोग टिकट लेने के लिए उन मशीनों का प्रयोग नहीं कर सकते। फिर मशीन पर आदमी भी बैठाना होगा और लाइन भी लगेगी। भीड़ के समय पांच मिनट तो क्या 50 मिनट की बात कहना बेमानी होगा।
यश वीर आर्य, नई दिल्ली
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