समाचारों से ज्ञात हुआ कि अमित शाहजी दिल्ली की हार से इतने दुखी हुए कि इसका प्रभाव उन्होंने अपने बेटे की शादी तक में पड़ने दिया। घोड़े को वापस लौटा दिया गया, पटाखे नहीं छोड़े गए और बैंडबाजे को भी वापस कर दिया गया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का हार के कारण ऐसी नाराजगी उचित नहीं है। जिस तरह अन्य व्यापार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं उसी तरह राजनीति में भी होता है, जिसके लिए इतनी मायूसी अमित शाह को शोभा नहीं देती।

शाह एक बार अगर लालू प्रसाद यादव से कुछ प्रवचन सुन लेते तो उनका गम कुछ कम हो जाता। अमितजी इतना गीता-गीता जपते हो, कुछ ज्ञान भी तो गीता का रखो- सुख-दुख में एक समान। और अमित शाह लालू यादव से इतना सुनते ही अपने बेटे की शादी में धूमधाम से जश्न मनाते, नागनाच करते तो इस अविस्मरणीय छटा से अपने बेटे की शादी में चार चांद लगा देते! बेटे की शादी के अवसर पर चुनावी हार के कारण गमगीन होना अच्छी बात नहीं है शाह बाबू!

आमोद शास्त्री, मदनपुर खादर, दिल्ली

 

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