गणतंत्र दिवस पर हमारे देश के मेहमान बने अमेरिकी राष्ट्रपति हमें सामाजिक सद्भाव का सबक सिखा कर चले गए। अमेरिका पहुंच कर भी भारत में सामाजिक सद्भाव के अभाव पर प्रवचन दिया और हमारे प्रधानमंत्री ने उन्हें तथ्यों का आइना दिखाने के बजाय गर्जना कर दी कि उनकी सरकार धार्मिक सहिष्णुता बर्दाश्त नहीं करेगी।

यह ठीक है कि प्रधानमंत्री होने के नाते भारत की धार्मिक सहिष्णुता की रक्षा करें, लेकिन किसी दूसरे देश को हमें सीख देने की जरूरत नहीं है यह तो कह सकते थे! अमेरिका के ही संघीय जांच एजेंसी (एफबीआइ) की 2013 की रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि अमेरिका में उक्त वर्ष में धार्मिक हमलों की 1031 घटनाएं हुर्इं जिनमें नब्बे फीसद अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हुर्इं।

अभी हाल में ऐसी दो घटनाएं हुर्इं जिनसे प्रत्येक भारतीय का क्रुद्ध होना स्वाभाविक है। एक में एक निर्दोष भारतीय नागरिक की पुलिस पिटाई से मृत्यु हो गई और दूसरी घटना में एक मंदिर पर हमला किया गया और उसके सामने ‘गेट आउट’ लिख दिया गया। इन दोनों मामलों के लिए भारत सरकार कम से कम अमेरिकी दूतावास के जरिए अपना विरोध तो जता ही सकती थी।
आनंद मालवीय, इलाहाबाद

 

फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/Jansatta

ट्विटर पेज पर फॉलो करने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/Jansatta