इस बार गणतंत्र दिवस पर दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्ष का भारत दौरा हुआ और वे गांधीजी और मार्टिन लूथर किंग के विचारों का गुणगान करते नहीं थक रहे थे। इतना ही नहीं, ओबामा ने यहां तक कह दिया कि वे आज जो हैं वह महात्मा गांधी विचारों के कारण हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गांधी जयंती पर स्वच्छता अभियान की शुरुआत करके गांधी के बताए रास्ते पर चलने का आह्वान किया। देखना बाकी है कि देशवासी भविष्य में गांधी मार्ग का कितना अनुसरण करते हैं। दरअसल, हम गांधी के बताए रास्ते से भटक गए हैं। शायद यही कारण है कि आज समूची दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। आजाद भारत में भी गांधी के रहते कई अफसोसनाक घटनाएं हुर्इं थीं। इनमें भारत-पाकिस्तान का विभाजन प्रमुख है। गांधीजी नहीं चाहते थे कि देश का विभाजन हो। लेकिन उस समय के कुछ नेताओं की महत्त्वाकांक्षा के कारण यह विभाजन नहीं टाला जा सका और दो झगड़ालू पड़ोसियों की तरह दोनों देश आज भी जूझ रहे हैं।

देश विभाजन के फलस्वरूप बहुत से नागरिकों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं और कुछ लोग तो चर्चाओं में विभाजन का सीधा दोष गांधीजी को देते हैं। संभवत: किन्हीं भ्रांतियों के चलते हम लोग अपने देश में रहते अपने ही बीच के महामानव की रक्षा तो दूर, उनके जीवन और विचारों से भलीभांति परिचित नहीं हो सके हैं, जो पूरी दुनिया के लिए पहले, आज और आने वाले समय में भी प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। तीस जनवरी 1948 का दिन भारतीय इतिहास के लिए काला दिन कहा जाएगा जब हमने अपने हाथों राष्ट्रपिता की हत्या कर दी थी। पूरा देश उस हत्या से स्तब्ध रह गया था। गांधीजी के दाहिने और बाएं हाथ जैसे नेहरू और पटेल के रहते गांधीजी की हत्या हो गई। गांधीजी हम लोगों को छोड़ कर चले गए लेकिन उनका बताया रास्ता अनादि काल तक पथ प्रदर्शन करता रहेगा। हम लोग उसी रास्ते का अनुसरण करें, यही राष्ट्रपिता को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

राजेंद्र प्रसाद बारी, इंदिरा नगर, लखनऊ

 

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