बीती अठारह अगस्त को अमेरिका ने जमीन से जमीन पर 5000 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली टामहॉक क्रूज मिसाइल का परीक्षण करके विश्व को एक और अनावश्यक युद्धक सामान बनाने के लिए मजबूर करने वाला काम किया है। यही अमेरिका 2 अगस्त 2019 को इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज ट्रीटी यानी आइएनएफ संधि का पुन: नवीनीकरण करने से रूस और चीन पर यह आरोप लगाते हुए कि, ‘ये दोनों देश इस संधि के बावजूद नई आधुनिकतम मिसाइल विकसित कर रहे हैं’, पीछे हट गया था। पर रूसी उप विदेश मंत्री के अनुसार अमेरिका खुद इस संधि की आड़ में इस मिसाइल को पहले से बनाने की तैयारी में लगा था।
दरअसल, अमेरिका की कथनी और करनी में बहुत फर्क है। वह चाहता है कि दुनिया के अन्य देश मसलन, भारत, उत्तर कोरिया, ईरान आदि अपनी रक्षा के लिए भी हथियार न तो विकसित करें और न ही उन्हें न बनाएं। इसके लिए वह उन देशों पर तरह-तरह की आर्थिक दंडात्मक कार्रवाइयां करता रहता है, लेकिन खुद अत्यंत घातक हथियारों का भारी भरकम जखीरा रखने के बावजूद आएदिन नए-नए हथियार बनाता रहता है। कितना अच्छा होता कि दुनिया के सभी देश हथियारों पर होने वाले अकूत धन को मानव कल्याण के कार्यों यथा गरीबी हटाने, भूख से निजात दिलाने, अशिक्षा दूर करने, अस्पतालों की दशा सुधारने, पशु-पक्षियों सहित पर्यावरण को बचाने में लगाते और विश्व के सभी लोग शांति से अपना जीवन गुजारते! पर अफसोस की बात है कि अमेरिका जैसे देश दुनिया को चैन से नहीं जीने देते। संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं भी अमेरिका की जेबी संस्थाएं बन कर रह गई हैं। इस भयावह स्थिति का विकल्प ढूंढ़ा ही जाना चाहिए।
’निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश</p>
शाबाश सिंधू
एक बार फिर दुनिया हिंदुस्तान के हुनर का लोहा मान रही है। यह कारनामा करने वाली हिंदुस्तान की बेटी और कोई नहीं सबकी चहेती खिलाड़ी पीवी सिंधू है। सिंधू को विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम करने वाली देश की पहली भारतीय खिलाड़ी बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने एक बार फिर दुनिया को बता दिया कि भारत में किसी भी खेल में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। 24 वर्षीय इस खिलाड़ी ने विरोधी को बड़ी आसानी से घुटने टेकने पर मजबूर किया तो दुनिया कह उठी शाबाश सिंधू! बैडमिंटन के ऊंचे आकाश पर चमकते इस सितारे पर देश को गर्व क्यों न हो! कड़ी मेहनत और लगन से ही सिंधू ने यह ऊंचाई पाई है। यह जीत अपनी मां को समर्पित कर सिंधू ने नई पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की है। देश को अपनी इस होनहार खिलाड़ी से बार-बार ऐसी जीत की उम्मीद रहेगी। सिंधू सहित उनके प्रशिक्षक, परिजन और प्रशंसकों को अनेक बधाइयां!
’एमके मिश्रा, रातू, रांची, झारखंड</p>