अफसोस की बात है कि हमारे देश में पर्यावरण पर भी राजनीति की जा रही है जबकि सर्वविदित है कि पर्यावरण संरक्षण हम सबके लिए अत्यंत आवश्यक है। जल, वृक्ष, हवा ये सब प्राकृतिक संपदा हैं। जब हम प्रकृति से इतना कुछ प्राप्त करते हैं तो क्या प्रकृति के प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? यह जिम्मेदारी और प्रकृति का महत्त्व समझने के बजाय राजनेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं। दूसरी ओर कुछ स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) इसे केवल अपने प्रचार का माध्यम बनाने में लगे हैं। आखिर हम क्यों नहीं समझ पा रहे वृक्षों के महत्त्व को? जहां एक ओर पूरा विश्व प्रदूषण से परेशान है वहीं लगभग 16000 पेड़ों की कटाई के बारे में कोई कैसे सोच सकता है, यह समझ से परे है।

न्यायपालिका संज्ञान न लेती तो दिल्ली में अमूल्य ऑक्सीजन के कितने ही स्रोतों को तबाह कर दिया जाता। जब प्रकृति ने हमें इतना कुछ दिया है तो क्या हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं कि हम उसके प्रति कृतज्ञ होकर उसे नुकसान न पहुंचाएं। प्रकृति हमें जितना देती है उसकी तुलना में हमने कुछ भी तो नहीं किया। जितने महत्त्वपूर्ण मुद्दे आज सुरक्षा, स्वास्थ्य, सफाई आदि हैं उतना ही प्रकृति के प्रति जागरूक होना भी है।
’राज सचदेवा, सफदरजंग एंक्लेव, नई दिल्ली</strong>

ज्यादा कर
जीएसटी को लागू किए सालभर से ज्यादा हो गया लेकिन व्यापारियों के साथ उपभोक्ता भी उसकी दरों से खुश नहीं हैं। 5,12,18, 28 फीसद दरों को देख कर ऐसा नहीं लगता कि यह ‘एक देश एक कर’ के आदर्श वाली प्रणाली है। 28 फीसद कर तो इतना ज्यादा है कि बहुत कम देशों ने इसे जीएसटी में शामिल किया है। अधिकतर देश में यह 20 फीसद से अधिक नहीं है। सरकार द्वारा 12 फीसद और 18 फीसद के स्लैब को मिला कर 15 फीसद किए जाने के बारे में विचार करने के लिए कहा गया था यानी अभी दर स्थिर नहीं हो पाई है।
सरकार ने चुनावों से पहले 178 चीजों पर जीएसटी 28 फीसद से घटा कर 18 फीसद कर दिया जिसमें गैर वातानुकूलित रेस्टोरेंट में जीएसटी की दर को पांच फीसद किया था। ऐसे फैसलों से मध्यवर्ग को फायदा होता है। कॉलेजों के प्रवेश परीक्षा शुल्क को जीएसटी से बाहर किया गया। इससे पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह सेवा सस्ती हो जाएगी। इसमें सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि कर चुकाने वालों को छूट मिल गई लेकिन कर ग्राहकों से तो वसूल किया जा चुका है। ऐसे में वह व्यापारियों की जेब में चला गया। 28 फीसद वाली कुछ महंगी चीजों पर सेस टैक्स अभी जारी है।
’महेश कुमार, सिद्धमुख, राजस्थान</strong>