जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले को प्रभावों से वैश्विक जनमानस से अवगत है। इस नाते सभी देशों की सरकारों पर दबाव है कि वे सतत विकास को जारी रखने के लिए अपनी ऊर्जा जरूरतों में अधिक से अधिक स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाएं। इसके लिए विभिन्न उपाय अपनाए जा रहे हैं।

ज्वारीय, सौर, पवन ऊर्जा सरीखे अनेक उपायों पर जोर है। वाहनों के अधिक से अधिक विद्युतीकरण करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इनमें से नाभिकीय ऊर्जा भी एक स्वच्छ ऊर्जा का विकल्प है। इसके लिए नाभिकीय संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।

लेकिन नाभिकीय ऊर्जा से जुड़ी कुछ समस्याएं हैं। एक तो यूरेनियम के अपेक्षित भंडार सभी देशों के पास उपलब्ध नहीं है। दूसरी इसकी तकनीक हासिल करने के बाद हो सकता है कि कई देश नाभिकीय हथियार विकसित करने का प्रयास करने लगें। दूसरी समस्या इसकी सुरक्षा को लेकर है, क्योंकि युद्ध और भूकम्प के समय इन संयंत्रों को खतरा उत्पन्न होने का अंदेशा रहता है।

लिहाजा वैश्विक स्तर पर मांग है (खासकर यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद) कि ऐसे संयंत्र के आसपास के क्षेत्रों को युद्ध निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया जाए। एक और अहम समस्या है, इस संयंत्र से निकलने वाले कचरे का उचित निपटान कैसे किया जाए? लिहाजा, हमें जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचने के लिए सिर्फ सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना होगा, बल्कि इसके सुरक्षित होने पर भी ध्यान केंद्रित करने होंगे।