आखिरकार वही हुआ, जिसका अंदेशा था। तमाम वैश्विक दबावों को झुठलाते हुए रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया। फ्रांस और जर्मनी की बीच बचाव की कोशिशें, अमेरिका की पाबंदी की घुड़कियां और संयुक्त राष्ट्र की मैराथन बैठकें रूस को यूक्रेन पर हमला बोलने से नहीं रोक सकीं। सवाल है कि आखिर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन इतने आक्रमक क्यों बने हैं?
कहां है संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का अस्तित्व? यूक्रेन में व्यापक जान-माल के नुकसान और करीब अठारह से बीस हजार फंसे, रोते-सिसकते और अनिश्चित भविष्य की ओर टकटकी लगाए भारतीय छात्रों का कौन होगा खेवनहार? इन सवालों और युद्ध के धमाकों के बीच यह बेहद जरूरी हो गया है कि मानवता की रक्षा की जाए, इंसान और इंसानियत को बचाया जाए।
नाटो, अमेरिका, यूरोप तथा व्लादिमिर पुतिन अपनी राजनीतिक और सामरिक महत्त्वाकांक्षाओं को विराम दें और यथाशीघ्र युद्ध रोकें, नहीं तो इसकी लपटें पूरी दुनिया को कहीं तीसरे विश्वयुद्ध की ओर न ढकेल दें।
हमने दो विश्व युद्धों का जख्म झेला है और अनुभव यही है कि युद्ध किसी भी समस्या का न तो विकल्प हो सकता है और न ही समाधान। जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद और विश्व के बड़े हुक्मरान इस समस्या का समाधान निकालें।
- हर्ष वर्द्धन, पटना</strong>