सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी की जयंती देश-विदेश में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी ने सभी धर्मों और जाति वर्ग को एक समान समझने की शिक्षा दी थी-‘अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे! एक नूर ते सब जग उपज्या, कौन भले कौन मंदे!!’। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं मात्र सिख धर्म के लिए ही आदर्श नहीं, बल्कि हर धर्म के लिए हैं।

इन पर चल कर कोई भी व्यक्ति जिंदगी में कभी पथभ्रष्ट नहीं हो सकता। गुरु नानक देव जी ने दुनिया को पांच मुख्य विकारों से बचने की शिक्षा देते हुए कहा है कि ‘राज मिलक जोवन गृह सोभा रुपवंतु जोधानी, भागे दरगहि कामि न आवै छोड़ि जलै अभिमानी’, अर्थात सत्ता, धन, रूप, जाति और जवानी इन सभी घमंड ने दुनिया को भरमाया हुआ है, इनके कारण ही व्यक्ति दुखी भी हो जाता है।
’राजेश कुमार चौहान, जलंधर