बुधवार को जारी अमेरिकी शोध संगठन, हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईई) की यह रिपोर्ट अत्यंत चिंताजनक है कि दुनिया के सात हजार शहरों में भारत की राजधानी दिल्ली की हवा सर्वाधिक ज़हरीली है। इस मामले में कोलकाता दूसरे स्थान पर आता है। यद्यपि यह खबर देश के लिए नई नहीं है। सरकारों द्वारा वायु प्रदुषण रोकने और इस पर नियंत्रण करने के प्रयास भी लगातार किए जाते हैं।

अधिकतर शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी किया जाता है, ताकि जनता को इसकी जानकारी रहे और जनता इससे सावधान रहे, पर केवल इतना पर्याप्त नहीं है।

आने वाला शीतकाल और भी संकट का समय होगा। सरकार द्वारा प्रदूषण रोकने के लिए ठोस उपायों के साथ ही वायु प्रदूषण फैलाने वालों के विरुद्ध कड़ी दंडात्मक कार्यवाही भी करना चाहिए। देश में नागरिक बोध की अवस्था इतनी दयनीय है कि यातायात नियमों के पालन हेतु भी सरकार को आर्थिक दंड लागू करना पड़ते हैं, जबकि नियमों का पालन हम सबका प्राथमिक कर्तव्य और दायित्व है।

बहरहाल, वायु प्रदुषण के नियंत्रण हेतु, प्रत्येक स्तर पर और अधिक प्रयास, अधिक गंभीरता, अधिक जन जागृति और अतिरिक्त सतर्कता बेहद ज़रूरी है।

इशरत अली कादरी, भोपाल</strong>