प्रयागराज के परेड मैदान में विश्व हिंदू परिषद के शिविर में संतों ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव नहीं धर्मयुद्ध है, धर्म और अधर्म के बीच लड़ाई छिड़ गई है। समय आ गया है कि अब समाज को हिंदू धर्म की रक्षा करने वाली और संस्कृति का समर्थन करने वाली सरकार को चुनना होगा। सोचने की बात है कि आखिर क्यों संत इस चुनाव को धर्मयुद्ध बता रहे हैं।
पिछली सरकारों के कार्यकाल पर ध्यान देंगे तो स्पष्ट होगा कि क्यों आवश्यकता है धर्म और संस्कृति की रक्षा करने वाली सरकार की। पहले समाजवादी पार्टी की सरकार ने जिस प्रकार हिंदू धर्म को लक्षित करके एक के बाद एक असहनीय निर्णय लिए, वह सब जगजाहिर है। सपा सरकार ने धार्मिक भेदभाव करके एक धर्म को कमजोर और दूसरे धर्म को मजबूती दी।
इसी के चलते यूपी की जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत से प्रदेश की सत्ता सौंपी। योगी जी धर्म और संस्कृति की रक्षा के अच्छे वाहक भी साबित हुए। साधु संतों को यह भी चिंता है कि सपा सरकार का धार्मिक भेदभाव कहीं न कहीं समाज को विघटित करता है।
वैसे संतों का राजनीति से कोई मतलब नहीं होता, लेकिन इतिहास गवाह है कि जब भी राष्ट्र, धर्म और समाज पर कोई समस्या आई है, तब संत समाज ने आगे बढ़ कर उसका समाधान किया है।
- ललित शंकर, गाजियाबाद