मातृशक्ति पर चर्चा करें तो इस अलौकिक जगत में सर्वश्रेष्ठ कृति का ईश्वर ने निर्माण किया, वह महिला है, जिसे सहजता, सरलता, प्रेम-प्यार, सौंदर्य और आकर्षण प्रकृति ने उसे उपहार स्वरूप दिए और साथ ही मातृशक्ति भी प्रदान की। दया, धर्म, सद्भावना, सहनशीलता ,उसे आभूषण के तौर पर कुदरत ने भेंट किए हैं।

प्राचीन ग्रंथों में अनेक महिलाओं की गाथाएं, ज्ञान संपदा से उन्हें एक सम्मानीय स्थान प्राप्त है, वहीं देश के स्वाधीनता आंदोलन में वीर नारियों, वीर गाथाओं को हम आज तक याद करके उनसे प्रेरणा लेते आ रहे हैं। वर्तमान परिदृश्य में महिलाओं की कार्यकुशलता, दक्षता, प्रतिभा में निरंतर वृद्धि हो रही है। महिलाओं का कार्य क्षेत्र बढ़ गया है।

महिलाएं शासन के उत्तरदायी पदों पर प्रतिष्ठित हैं। वे कारोबारी, प्रबंधक, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षिका, प्रोफेसर, आर्किटेक्ट, तकनीशियन, विमान परिचारिका, वैज्ञानिक आदि बन रही हैं। वे सेना में जाकर देश सेवा कर रही है, विमान उड़ा रही हैं। समाज के हर क्षेत्र में परोक्ष और प्रत्यक्ष रूप से महिलाओं का प्रवेश ही मातृशक्ति की पहचान और प्रमाण है।

  • संजय वर्मा ‘दृष्टि’, धार, मप्र