दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में दिन-प्रतिदिन बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण ने लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है। ऐसी घुटन से निपटना, जो घर की खिड़कियों और दरवाजों को बंद करने पर महसूस हो रही हो, केवल जनता के स्तर पर साध्य नहीं लगता। इसलिए प्रदेश और केंद्र सरकार से अपेक्षा की जाती है कि संयुक्त प्रयास से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पर्यावरण को अविलंब प्रदूषण से मुक्त किया जाए।

हालांकि उच्चतम न्यायालय लगातार सरकारों का ध्यान इस तरफ आकर्षित कर रहा है, पर इस दिशा में उचित कदम उठाने वाली सरकारें ध्यान नहीं दे पा रहीं हैं, क्योंकि वे अगले वर्ष कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के प्रचार में व्यस्त हैं। न्यायालय के आदेश पर ही कुछ दिनों पूर्व इस भयानक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कोई प्रभावशाली तरीका ढूंढ़ने के लिए दिल्ली तथा इसके पड़ोसी राज्यों की बैठक हुई थी। पर बैठक औपचारिकता मात्र ही सिद्ध हुई लगती है।

इसमें संदेह नहीं कि लोगों का सांस लेना दूभर करता प्रदूषण कोरोना और उसके नए संक्रमण से अधिक घातक है। पर इसमें प्रचार का लाभ सीमित होने के कारण यह महत्त्वपूर्ण कार्य अभी उपेक्षित प्रतीत हो रहा है।
’राजेंद्र प्रसाद सिंह, विनोद नगर, दिल्ली