आश्चर्य की बात है कि आजादी के चौहत्तर वर्षों के बाद भी हमारे देश में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोई वैधानिक प्रक्रिया नहीं है। निचली अदालतों के लिए तो कुछ राज्य सरकारें पीसीएसजे की परीक्षा करवाती हैं, पर उच्च और उच्चतम न्यायालयों में ज्यादातर न्यायाधीश कई तरह के दबाव से नियुक्त होते हैं, जिनसे सही और निष्पक्ष न्याय की आशा करना बेमानी है। इसलिए देश में न्यायिक सेवा प्राधिकरण का गठन संघ लोक सेवा आयोग के अधीन होना चाहिए।
ऐसा होने से नियमित रूप से न्यायाधीशों की भर्ती हो पाएगी और रिक्त पदों को भरा जा सकेगा, जिससे लंबित करोड़ों मुकदमों का त्वरित निस्तारण हो सकेगा और जनता को त्वरित न्याय मिल पाएगा। मुकदमों की संख्या को देखते हुए इनके पदों को आवश्यकतानुसार बढ़ाया भी जा सकेगा।
’अतिवीर जैन पराग, मेरठ</p>