जब से देश की बागडोर भाजपा के हाथों में आई है, तब से विपक्ष की नाव हिचकोले खाने लगी है। सबसे पहले कांग्रेस की पतवार छोड़ कर अनेक दिग्गज भाजपा में शामिल हुए, फिर कई दिग्गज जी-23 के जरिए कांग्रेस का विरोध जता चुके हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अघाड़ी सरकार को शिवसेना के बागियों ने गिरा दिया और भाजपा से मिलकर वहां सरकार स्थापित कर ली। शिवसेना के बहुत से सांसद भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना से निकल कर शिंदे गुट में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पूर्व भी कुछ प्रदेशों की सरकारों में दलबदल हुए और वहां भाजपा ने सत्ता संभाल ली। डर है कि अगर इतनी ही तेजी से दलबदल होता रहा, तो कहीं देश में विपक्ष नाम की चिड़िया की चहचाहट ही नदारद न हो जाए।
शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर</strong>