भारत में वैश्विक महामारी की पहुंच अब जेलों मे कैदियों को भी संक्रमित कर रही है। ऐसे में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कैदियों के हितों को संज्ञान मे लेते हुए कहा कि राज्य सरकारें सुनिश्चित करे कि जेलों से कैदियों को पेरोल पर रिहा किया जाए, ताकि संक्रमित हो रहे अन्य कैदियों को बचाया जा सके। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि कोरोना को देखते हुए सभी आरोपियों को जेल तक लाने की जरूरत नहीं। ऐसे आरोपी जिनको सात साल तक की सजा की संभावना है, उन्हें जेल में डालने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने सभी कैदियों को पर्याप्त मात्रा में मेडिकल सुविधा मुहैया कराने की बात को भी सुनिश्चित करने के लिए कहा।
जेलों की स्थिति पर जारी की एक रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर 2017 तक भारत में कुल एक हजार तीन सौ इकसठ जेलें हैं, जिनकी कुल क्षमता लगभग चार लाख कैदियों की है। लेकिन इन जेलों में क्षमता से कई ज्यादा अधिक यानी करीब चार लाख पचास हजार कैदी बंद हैं। यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जेलों की संख्या और सुविधाएं नहीं बढ़ानी चाहिए? क्या संक्रमण को देखते हुए बुजुर्ग और असहाय हो चुके कैदियों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए? हालांकि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य कैदियों को छोड़ने के लिए तैयारी मे जुटे हैं। अक्सर हम बाहर की ही दुनिया में खोए रहते हैं, इसलिए जेल और कैदियों का मुद्दा हमारे जीवन से अलग और छोटा लगता है, लेकिन जेल में संक्रमण का पहुंचना सरकार और व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है!
-अमन जायसवाल, दिल्ली विवि, दिल्ली
नाहक दखल
लोगों का खान-पान और उनकी भाषा बहुत कुछ वहां की भौगोलिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है। इसलिए इसमें बिना मानवीय वजहों के छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए। पिछले दिनों लक्षद्वीप में नया नियम लागू हो गया है। सरकार विकास के नाम पर लोगों के खान-पान और संस्कृति को जबर्दस्ती बदलना चाहती है, जिसके विरोध में भाजपा के ही आठ स्थानीय नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। लक्षद्वीप में आज तक शराब बंद था। यहां तक कि पर्यटक भी वहां शराब लेकर नहीं जा सकते थे, लेकिन केंद्र सरकार ने वहां जबरन शराब की बिक्री चालू करा दिया, जिसको लोग अपनी संस्कृति पर खतरा मान रहे हैं और सड़क पर उतर आए हैं।
विरोध के अन्य कारणों में डेयरी फार्म को बंद कराना, मछली पकड़ने में बाधक नए तटरक्षक नियम हैं। मछुआरों की झोपड़ियां तोड़ी जा रही हैं। इनसे सरकार को क्या हासिल होना है! जबकि यह तथ्य है कि यहां अपराध दर बहुत कम है। फिर भी सरकार ऐसा कानून लाई है, जिसके आधार पर बिना कोई कारण बताए किसी व्यक्ति को एक साल तक के लिए कैद किया जा सकता है। इसके अलावा, पर्यावरण के लिहाज से समृद्ध इस क्षेत्र में सरकार अत्यधिक निर्माण जैसे होटल, स्मार्ट सिटी, राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल आदि खड़ा करना चाहती है, जो जैव विविधता के लिए घातक हो सकता है। आवश्यकता है कि लोगों की संस्कृति, भावनाओं, पर्यावरण और मानवता को ध्यान में रखते हुए ही कोई भी विकास या कानून लाया जाए।
-गंगाधर तिवारी, लखनऊ, उप्र