फिलहाल पूरे देश में फिर कोरोना की मार अपने उफान पर है। मरीज आॅक्सीजन और दवाइयों के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अस्पतालों में बिस्तर नहीं है। इससे दुर्भाग्य की क्या बात होगी कि कहीं दवाइयां चोरी हो रही हैं तो कहीं टीके। यह बहुत ही चिंताजनक और निराश करने वाली बात है। जब हमारा स्वास्थ्य तंत्र बुरी तरह से चरमरा गया है, उस समय ऐसी क्षति हमारे अंदर सिहरन पैदा करती है।

यह लापरवाही नहीं तो और क्या है? दूसरी ओर, दिल्ली में बीते दो हफ्तों से पूर्णबंदी लागू है, जिसमें आम आदमी यही उम्मीद करता है कि इस बीच स्वास्थ्य तंत्र दुरुस्त हो जाए, लेकिन यहां तो सिर्फ कुछ घंटों के लिए आॅक्सीजन बचे होने की चेतावनी सामने जा रही है। यह किस तरह का तंत्र हम लोगों ने खड़ा किया है, जहां की प्रजा अपनी सांसों के लिए सत्ता से भीख मांग रही है? हमारा स्वास्थ्य तंत्र इस वक्त हांफ रहा है।

क्या ऐसे समय में हमें दूसरे देशों से मदद नहीं लेनी चाहिए। यहां काफी लोगों की जान रोजाना जा रही है। हमें अपने स्वास्थ्य संसाधनों की हिफाजत करनी होगी। अन्यथा यह महामारी हमें कई वर्षों पीछे धकेल देगी। लंबी पूर्णबंदी हमें महामारी से नहीं बचा सकती। यह बात पिछले वर्ष ही स्पष्ट हो गई थी, लेकिन हमें गहरा आर्थिक नुकसान जरूर पहुंचा सकती है।
’आशीष, जामिया मिल्लिया, नई दिल्ली</p>

महामारी से इतर

सही है कि यह दौर बहुत मुश्किल है। लेकिन यह भी सच है कि महामारी की तमाम चुनौतियों के बावजूद मरीजों के स्वस्थ होने की दर संतोषजनक है। पनचानबे फीसद लोग घर पर रह कर ही स्वस्थ हो रहे है। यह महामारी शरीर से अधिक मस्तिष्क पर प्रहार कर रहा है। आज कल चारों ओर कोरोना संबंधी समाचारों की बाढ़ आ गई है। बार-बार एक ही तरह का समाचार सुन और पढ़ कर लोगों के मस्तिष्क में महामारी का खौफ बैठ गया है।

बार-बार नकारात्मक विचारों से शरीर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। इस नकारात्मकता की वजह से लोग मानसिक तनाव का जीवन जी रहे हैं। धीरे-धीरे यह मानसिक तनाव बीमारी का रूप धारण करता जा रहा है। आज कोरोना एक मानसिक बीमारी का रूप धारण कर चुका है। यह देखा जा रहा है कि जो लोग कोरोना के समाचारों से दूर रहते हैं, उन पर महामारी का प्रभाव कम है। कोरोना पर विजय प्राप्त करने के लिए मस्तिष्क को शांत और स्वस्थ होना चाहिए। कोरोना से सावधानी जरूरी है, लेकिन रात-दिन उसी के विषय में नहीं सोचना चाहिए।
’हिमांशु शेखर, केसपा, गया, बिहार</p>