पिछले दिनों मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान रखने की खबर आई और ऐसे ही देश में अलग अलग जगहों के नाम बदले जा रहे हैं। सरकार ने नाम बदलने के पीछे का कारण औपनिवेशिक मानसिकता को पीछे छोड़ स्वतंत्र मानसिकता के साथ आगे बढ़ने के उद्देश्य को बताया। जब इसके बारे में पढ़ा, तब मालूम हुआ कि नाम बदलने के बाद पूरी प्रक्रिया में कई सौ करोड़ खर्च आता है।
खर्च यानी नाम बदलने के बाद कई दस्तावेज पर और भी अलग अलग जगह नाम बदलने में खर्च होता है। मुगल गार्डन का इतिहास में काल सौ साल से भी अधिक का है। भारत की राजधानी जब कोलकाता से दिल्ली बननी तय हुई, तब 1911 में सर एडविन लुटियंस ने राष्ट्रपति भवन और मुगल गार्डन का ढांचा बनाया। अजीब बात यह है कि मुगल गार्डन का नाम किसी मुगल ने नहीं, बल्कि एडविन लुटियंस ने रखा रखा था।
- अंजलि प्रिया, मधेपुरा, बिहार</strong>