संपादकीय ‘आखिर वापसी’ (10 दिसंबर) के संबंध में यही कहना है कि आखिर किसानों को अकल आ ही गई है। पिछली बार की कड़कड़ाती ठंड का उनका अनुभव अच्छा नहीं था। ठंड के कारण कई मौतें हुई थीं। इस बार उन्होंने कोई जोखिम नहीं लिया और आखिर मन बना लिया उठने का। अच्छा है, किसान अब घर जा रहे हैं, क्योंकि देश के किसानों को इस तरह खेती-बाड़ी से दूर उलझा कर रखना यों ही उचित बात नहीं थी, केवल तीन कृषि कानूनों के नाम पर उन्हें जिस तरह साल भर राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस द्वारा अपने हितों के लिए उलझा कर रखा गया, वह उचित बात नहीं थी।

किसान यों भी बहुत भावुक होते हैं, इसलिए उनका ऐसे झांसे में आना मामूली बात थी। आज देश का कृषक समाज सबसे ज्यादा दुखी और परेशान है, उसकी एक बड़ी मांग है सरकार द्वारा कृषि को ‘उद्योग का दर्जा’ देने की, जिसे आज तक कोई भी राजनीतिक दल पूरा नहीं कर सका है। यह अलग बात है कि किसान हमेशा थोड़े मिले को ज्यादा मान कर चलता है, जबकि देश भर में आज सबसे दुखी कोई कौम है तो वह किसान है। पंजाब, हरियाणा के संपन्न किसानों को छोड़ दें, तो आज अधिकांश किसान गरीब और मध्यवर्गीय है, जो कर्ज लेकर खेती करता है, उपज आने पर कर्ज चुकाने के बाद बचे-खुचे में खुश होकर अपनी होली, दिवाली मनाता और बेटे-बेटी की शादी करता है। इसलिए किसानों की दुर्दशा को दूर करने के लिए केंद्र सरकार को अब कम से कम कमर अवश्य कस लेनी चाहिए।

अभी जो कुछ ‘खेल’ हुआ है, वह केवल हरियाणा, पंजाब के किसानों का था। इसलिए आज भी देश भर का अधिकांश किसान दुखी और परेशान ही है। वह सरकार से पंगे नहीं लेता है। मालवा के किसानों की तो आज भी यही कहानी है कि ‘वह कर्ज में पैदा होता है और कर्जे में ही औलाद को छोड़ कर जाता है।’ इसलिए किसानों की दुर्दशा को आज सरकार को सुधारना ही होगी। उसे हर साल खेती के लिए ब्याज मुक्त कर्ज देना होगा, ताकि उसकी दशा में सुधार हो सके।

एमएसपी, मुआवजा, मुकदमे की वापसी, पराली पर से कानून हटाने आदि की मांगें तो ज्यादातर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा वाले किसानों की थी। यानी यह सब राजधानी दिल्ली के आसपास की मांगें थीं, पर किसानों की असली समस्या तो देश भर में किसानों का कर्जे में फंसे होना है। इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि वह देश के सभी किसानों की समृद्धि के बारे में सोचे। खेती को उद्योग का दर्जा मिले। अगर यह सब होता है तो किसान देश ही नहीं, विश्व भर के लोगों को अनाज आसानी से उपलब्ध करा सकता है।
’मनमोहन राजावत ‘राज’, शाजापुर