देश इस समय कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। पिछले डेढ़-दो साल से कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है। कोरोना की वजह से लाखों लोगों का रोजगार खत्म हो गया, बाजारों में मंदी छाई हुई है, लाखों परिवारों ने अपने परिजनों को खो दिया। मगर धीरे-धीरे जहां एक तरफ हालात सुधरे और कोरोना का असर कुछ कम हुआ, तो दूसरी तरफ डेंगू और वायु प्रदूषण ने हालत खस्ता कर दी।

चाहे सरकारों की लापरवाही हो, चाहे आम जनता की, डेंगू के मरीज बढ़ते ही जा रहे हैं। प्रदूषण ने भी दिल्ली शहर को एक तरह से जहरीली गैस का चैंबर बना दिया है। चाहे पराली जलाना हो, चाहे दिवाली की आतिशबाजी, चाहे वाहनों का धुआं, सरकारें इन पर रोक लगाने में नाकाम रही हैं। महंगाई ने भी घरों का बजट बिगाड़ दिया है। राजनीतिक दल भी इन समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं हैं। वे सिर्फ एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।

अभी हाल ही में छठ पर्व की व्यवस्थाओं को लेकर दिल्ली शहर में जो आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए वे सभी ने देखे। नेताओं के बिगड़े बोल भी बढ़ते जा रहे हैं। हरियाणा में एक माननीय सांसद विपक्षी नेताओं के हाथ काटने और आंखें फोड़ने की बात कर रहे हैं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री विरोधी नेताओं की जुबान काटने की धमकी दे रहे हैं, तो महाराष्ट्र में लगता है जैसे कोई धारावाहिक चल रहा है।

प्रतिदिन वहां के एक मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी उन मंत्री महोदय पर आरोप लगा रहे हैं। एक-दूसरे पर जम कर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। एक-दूसरे की पोल खोली जा रही है। जनता की समस्याएं तो दूर नहीं हो रहीं, पर ये तमाशा देखने को मजबूर हैं। इन सभी महानुभावों से हम यह उम्मीद करते हैं कि आपस में लड़ना छोड़ कर जिस काम के लिए जनता ने उन्हें चुना है, उसे गंभीरता से करने का प्रयास करें।
चरनजीत अरोड़ा, नरेला, दिल्ली