एक तरफ बिहार में शराबबंदी लागू की गई है। गुजरात में भी पहले से शराबबंदी है। वही दिल्ली में शराब घर पहुंचाने की सेवा को लेकर आदेश जारी कर दिया गया है। ये तीनों भारत के ही राज्य है। ऐसे में किसको और किस फैसले को सही कहा जाएगा? शराब को एक सामाजिक बुराई के तौर पर ही देखा गया है। गांव में तो शराब मुक्ति को लेकर अभियान भी चलाए गए है, लेकिन दिल्ली में शराब घरों तक पहुंचाने के इंतजाम हो गए हैं। दिल्ली सरकार ने मोबाइल ऐप और वेबसाइट के जरिए शराब घर पहुंचाने की अनुमति दे दी है। अब एल-13 लाइसेंस धारक दिल्ली के घरों में शराब पहुंचा सकेंगे।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा पूर्णबंदी घोषित करने पर शराब निर्माता कंपनियों ने मुंबई का उदाहरण देते हुए शराब घर तक पहुंचाने की सेवा की छूट की मांग की थी। साथ ही पूर्णबंदी की घोषणा के बाद दिल्ली में शराब की दुकानों में काफी भीड़ थी। अब सवाल यह उठता है कि जहां बिहार समेत कई राज्यों में शराबबंदी पर जोर दिया जा रहा है, वहीं केजरीवाल सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला कितना सही है।
एक तरफ देश में नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए कई नशा मुक्ति केंद्र चलाए जा रहे हैं। दूसरी ओर शराब की खुली छूट देना क्या शराब को बढ़ावा देना नहीं है? इस तरह लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना क्या उचित है?
’नेहा रानी, फरीदाबाद, हरियाणा