कांग्रेस के चिंतन शिविर का उद्देश्य था कांग्रेस का पुनरुद्धार, मगर वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे लगे कि कांग्रेस बदलना चाहती है। एक परिवार से एक व्यक्ति को टिकट या टिकट के लिए पार्टी में काम करने का पांच साल का अनुभव आदि प्रक्रियात्मक परिवर्तन हैं। जनता से जुड़ाव के लिए राहुल गांधी की यात्रा के अतिरिक्त कांग्रेस ने और कुछ नहीं कहा।

जनता यात्रा से नहीं मुद्दों से जुड़ेगी, मगर कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, अपराध आदि को मुद्दा नहीं बना पा रही है, क्योंकि भाजपा ने हिंदुत्व का जो चक्रव्यूह रचा है उसे चीरने के लिए कांग्रेस के पास कोई अभिमन्यु नहीं है। चूंकि कांग्रेस और ‘आप’ का वोट बैंक एक जैसा है इसलिए कांग्रेस को खतरा सिर्फ ‘आप’ से है। इतिहास गवाह है कि जिस राज्य में भी त्रिकोणीय चुनाव हुए, वहां कांग्रेस ऐसी हारी कि उसकी दुबारा वापसी ही नहीं हुई।

बृजेश माथुर, गाजियाबाद