चीन एक विश्वासघाती देश है। यह एक नया भूमि सीमा कानून बनाने जा रहा है, जो भारत और चीन के बीच हुई संधि के खिलाफ है। इस कानून की मदद से चीन यथास्थिति को बदलना चाहता है। भारत ने इस कानून का सख्ती से विरोध किया है, यह कहते हुए कि एलएसी विवाद अभी सुलझा नहीं है। लेकिन यह देश इतना जिद्दी है कि उसके लिए कोई नियम और कानून नहीं है।
वह अपनी शक्ति का दावा करता है। लेकिन वह भूल रहा है कि यह भारत 1962 का नहीं है। अब भारत ने कई बाधाओं को पार कर शक्तिशाली देश बन गया है। इस बार भारत दो मोर्चों पर लड़ सकता है, एक पाकिस्तान और दूसरा चीन के साथ। भारत को हल्के में लेना उसकी बहुत बड़ी भूल होगी। इसलिए, चीन को शांति में विश्वास करना चाहिए और दूसरों को शांति से रहने देना चाहिए।
’नरेंद्र शर्मा, जोगिंदर नगर, मंडी