अफगानिस्तान में गुरुद्वारा साहिब पर हमला उन पाखंडी सेक्युलरों की सच्चाई बयान करता है, जो देश में डर के माहौल की वकालत करते हैं। कभी हिंदुकुश पर्वत शृंखला तक फैली हिंदू संस्कृति को कितनी बर्बरता के साथ कथित अमन और भाईचारे की दुहाई देने वालों ने कुचला। 2001 में उन्होंने ही बामियान में बुद्ध की विशाल मूर्ति को तोप से उड़ा दिया था, जो आज नूपुर शर्मा के एक बयान पर भारत के उन तमाम उपकारों को भूल गया, जो अफगानिस्तान पर तब किए जब अमेरिका जैसी महाशक्ति भी उसे मंझधार में छोड़ गई थी। अब मजहबी ठेकेदारों ने अफगानिस्तान में बचे-खुचे एक गुरुद्वारे पर हमला कर अपने ‘महान’ धर्म का परिचय दे दिया।

नरेंद्र टोंक, मेरठ</strong>