हवा में जहर
आज पर्यावरण की दिनोंदिन बिगड़ती स्थिति सरकार के लिए उतनी चिंता की बात भले न हो, पर जनता के लिए अवश्य है। कुछ समय पहले हवा चलने के कारण घुटन कुछ कम अवश्य हो गई थी, पर इतनी भी नहीं कि सरकार इस तरफ से निश्चिंत हो जाए। देश को उस समय शर्मसार होना पड़ा जब कुछ दिन पहले अतिशय प्रदूषण के कारण दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में खेले जा रहे क्रिकेट मैच को रोक देना पड़ा, क्योंकि श्रीलंका के खिलाड़ियों को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। देश में आतंकवादियों से सुरक्षा के नाम पर कितना खर्च किया जाता है? लेकिन आश्चर्य की बात है कि प्रदूषण के इस प्रकार बढ़ते रहने के बाद भी हम पर्यावरण के प्रति सावधान नहीं रहते हैं। इस बात का अंदाजा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा इस संबंध में दिल्ली सरकार की निष्क्रियता पर लगाई गई फटकार से होता है। एनजीटी ने 2010 में इस दिशा में एक अधिनियम बनाया था। इसके बाद भी सरकार द्वारा इस दिशा में अपेक्षित सावधानी नहीं बरती जा रही है। नतीजतन, समूची दिल्ली और आसपास के लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के बीच चल रही रस्साकशी की वजह से जनता को कोई हानि नहीं होनी चाहिए। पर्यावरण को सुधारने के कदम जल्द उठाए जाने चाहिए, क्योंकि इस भयावह प्रदूषण की वजह से लोगों का घर से निकालना भी कठिन हो जाता है।
’राजेंद्र प्रसाद सिंह, दिल्ली
बेलगाम बोल
देश में जिस प्रकार राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है, क्या यही लोकतंत्र की पहचान है? मणिशंकर अय्यर अपने ताजा बयान के लिए सुर्खियों में हैं। इसी तरह जब प्रधानमंत्री डॉ आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे तो उस समय वोट की बात करते हुए विपक्ष की आलोचना करना क्या उचित था? मणिशंकर अय्यर ने एक गलत शब्द का प्रयोग किया। फिर उस शब्द को पूरे गुजरातवासियों से जोड़ कर पेश किया गया और काफी विवाद पैदा हुआ। सवाल है कि क्या अब अपशब्दों के प्रयोग के बूते वोट मांगे जाएंगे? जनहित और विकास के मुद्दे क्या अब पीछे छोड़ दिए गए हैं? सच यह है कि चुनाव प्रचार का स्तर लगातार दिनोंदिन गिरता जा रहा है।
’यश वीर आर्य, देहरादून