दमघोंटू धुंध
हमारे देश में जनसंख्या बढ़ने और तेज आर्थिक विकास के कारण कचरे की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। यहां 80 फीसद कचरा कार्बनिक उत्पादों, गंदगी और धूल का मिश्रण होता है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए एक गंभीर खतरा है। निश्चित कार्ययोजना के अभाव में दिल्ली सबसे ज्यादा गंदगी और प्रदूषण की शिकार होती जा रही है। कचरे और प्रदूषण के चलते राजधानी के आसमान में इन दिनों दमघोंटू धुंध की चादर छाई रहती है जिससे कई समस्याएं पैदा हो रही हैं।
हर साल धुंध की ऐसी समस्या से दिल्लीवासियों और एनसीआर को रू-ब-रू होना पड़ता है लेकिन इसकी प्राकृतिक वजह बताकर प्रशासन चुप्पी साध लेता है। अगर जल्दी ही इस संदर्भ में ठोस उपाय नहीं किए गए तो हालात और बदतर हो जाएंगे। यहां रोजाना आठ हजार मीट्रिक टन कूड़ा पैदा किया जा रहा है जबकि दो करोड़ मीट्रिक टन कचरा यहां पहले से ही पड़ा हुआ है, जिसका निस्तारण किया जाना है। समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट को इस मामले में दखल देना पड़ा है। संबंधित विभाग और नगर निगम की दलील है कि कूड़े के निस्तारण के लिए उनके पास अब कहीं डलावघर (डंपिंग ग्राउंड) नहीं बचे हैं। निकट भविष्य में अगर सरकार ने कचरे के निस्तारण और प्रबंधन के बाबत गंभीरता से विचार कर ठोस कदम नहीं उठाए तो शायद एक दिन हम कचरे के ढेर के नीचे होंगे।
’पवन नैन, सीसीएस यूनिवर्सिटी, मेरठ
अब क्या
आठ नवंबर को कोई राजनीतिक दल काला दिवस, कोई जन जागरूकता दिवस और कोई धोखा दिवस मना कर आम जनता को गुमराह करके अपना सियासी उल्लू सीधा करना चाहते हैं। इससे होना कुछ नहीं है सिवाय अपनी-अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के।
ये दल अपनी ऊर्जा और धन जनहित के कार्यों में लगाएं तो जनता के साथ-साथ इन्हें भी कुछ लाभ मिलेगा। वैसे भी अब नोटबंदी के गुणगान या विरोध से क्या होना है! जिसने लाभ उठाना था उठा लिया, जिसका नुकसान होना था उसका नुकसान हो गया मगर नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ा।
’यश वीर आर्य, देहरादून
चौपाल- दमघोंटू धुंध
कचरे और प्रदूषण के चलते राजधानी के आसमान में इन दिनों दमघोंटू धुंध की चादर छाई रहती है जिससे कई समस्याएं पैदा हो रही हैं।
Written by जनसत्ता

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First published on: 08-11-2017 at 05:53 IST