इसरो के वैज्ञानिकों ने एक साथ बीस उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण करके दुनिया को बता दिया कि इक्कीसवीं सदी हमारी है। सैंतालीस साल पहले बने इसरो ने डॉ विक्रम साराभाई जैसे महान वैज्ञानिक के उस सपने को साकार कर दिखाया जो उन्होंने कभी एक गरीब और विकासशील देश के लिए देखा था। तमाम कठिनाइयों और विफलताओं के बाद सफलता का आसमान छूते हुए इसरो भले ही रूस के उस रिकार्ड से पीछे है जिसके तहत उसने एक साथ सैंतीस उपग्रह छोड़े थे लेकिन भारत ने एक साथ बीस उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज कर दुनिया को चौंका दिया है।
इस प्रक्षेपण में बीस उपग्रहों में तेरह अमेरिकी, तीन भारतीय, दो कनाडा, एक-एक जर्मनी और इंडोनेशिया के उपग्रह शामिल हैं। लांचिंग के छब्बीस मिनट के अंदर ही सभी बीस उपग्रह अपनी कक्षा में स्थापित हो गए। यह कमाल करने वाला भारत दुनिया का तीसरा देश बन गया है। अमेरिका और रूस ही हमसे आगे हैं।
यह उपलब्धि इसलिए भी मायने रखती है कि पैंतीस साल पहले हमारे पास उपग्रह ले जाने के लिए भारी वाहन तक नहीं थे और यह काम हम बैलगाड़ी से किया करते थे। लेकिन आज दुनिया का हर देश हमारे पीएसएलवी के सहारे अपने उपग्रह अंतरिक्ष में भेजना चाहता है क्योंकि विश्व में सबसे सस्ता प्रक्षेपण हम ही कर सकते हैं। दुनिया देख रही है कि नासा जैसे संस्थान वाला देश अमेरिका भी हमारी मदद ले रहा है और हमारे साथ सहकार कर रहा है। दुनिया में जमने वाली इस धाक के साथ भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों की दक्षता और उनकी व्यावसायिक उपयोगिता बढ़ी है।
आशीष कोहली ‘रौनक’, कटनी