भारत पिछले साल की तुलना में छह अंक नीचे लुढ़क गया है। सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि भारत एशिया महाद्वीप में शीर्ष पर है। हमारे यहां विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां गांधीवादी मूल्यों को प्राथमिकता दी जाती है।

इसे विश्वगुरु के नाम से संबोधित किया जाता है। वहां इस तरह भ्रष्टाचार व्याप्त है। भ्रष्टाचार को खत्म केवल बड़े-बड़े नेता, अधिकारियों और कर्मचारियों पर लगाम लगा कर नहीं, बल्कि तब होगा, जब आमजन अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें। दरअसल, हम कोई छोटा काम जल्दी करवाने के चलते भ्रष्टाचार और बेईमानी के बीज बो देते हैं। इसी बीज ने वर्तमान समय में एक वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। खुद के अंदर किए गए बदलाव से देश में बदलाव संभव है।
’संजू तैनाण, हनुमानगढ़, राजस्थान</p>

क्रोध पर लगाम

मनुष्य के लिए किसी भी चीज की इच्छा करना उसके जीवन का अंग है। कई मनुष्यों को अपनी मौजूदा आवश्यकताओं की पूर्ति से संतोष नहीं होता है। वे हमेशा यही हिसाब लगाते रहते हैं कि उनके पास इस समय कितना है और भविष्य मे उन्हें कितना अधिक मिल सकता है। अधिक की इच्छा, व्यक्ति के अंदर संघर्ष की भावना जागृत करती है।

इच्छाओं के तीव्र होने के बावजूद उनके पूरा न होने पर क्रोध का जन्म होता है मनुष्यों की इच्छाओं पर नियंत्रण न होने के कारण। इसीलिए आजकल समाज में क्रोध के लक्षण अधिक मात्रा में दिखाई देते हैं। छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित लोग घरों में और समाज में हर ओर नजर आते हैं।

अनियंत्रित क्रोध समाज में हिंसा और विनाश लाते हैंछ क्रोध के कारण मनुष्य के विवेक पर पर्दा पड़ जाता है। क्रोधित और विवेकहीन मनुष्य दिमाग से कार्य लेने में सक्षम नहीं होता है। समय रहते व्यक्ति संयमित होकर क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर पाएगा तो वह अपने साथ घर-परिवार और समाज का नुकसान ही करेगा।
’नरेश कानूनगो, गुंजुर, बंगलुरु, कर्नाटक

पारदर्शिता का मतदान

हर साल हमारे देश में चुनाव आयोग की स्थापना के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। इस बार भी चुनाव आयोग की ओर यह घोषणा की गई है कि शीघ्र ही आम चुनावों में मतदाता देश के किसी भी हिस्से से अपने गृह विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्र में वोट डाल सकेंगे।

इसके साथ ही उन्होंने ई-ईपीक स्कीम शुरू करने की भी घोषणा की है। ये दोनों योजनाएं भारत के मतदाताओं के लिए काफी उपयोगी और लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं अगर इसमें बेईमानी का कोई नया तंत्र न खड़ा हो जाए।

नौकरी, रोजगार और पढ़ाई के लिए अपने गृह नगर से बाहर गए मतदाता अब आसानी से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। भागीदारी निश्चित रूप से लोकतंत्र को मजबूत करती है, लेकिन आम लोगों के साथ धोखा हो, ऐसा तंत्र विकसित नहीं होना चाहिए।
’ललित महालकरी, इंदौर, मप्र