सभी समाजों में, वह चाहे विकसित हो या विकासशील, औरतों के साथ हर क्षेत्र में भेदभाव हो रहा है। वह हो या कार्यस्थल हो। सड़क हो या खेल का मैदान। लैंगिक समानता के लिए लंबे-लंबे भाषण देने वालों या लंबे-लंबे आलेख अखबारों में लिखने वाले महिला-पुरुष समानता की बात करते तो हैं, लेकिन आखिर में वे भी पुरुषों के पक्ष में हो जाते हैं।
दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल फुटबाल में भी महिला खिलाड़ियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पहले उन्हें खेल का मेहनताना पुरुषों की तुलना में आधे से भी कम दिया जाता है। अब जब आगामी अगस्त महीने में ग्रीष्मकालीन महिला फुटबाल विश्वकप का आयोजन आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में संयुक्त रूप से हो रहा है।
लेकिन इस खेल को प्रसारित करने वाले यूरोप की कई टेलीविजन कंपनियां उतना पैसा देने को राजी नहीं हो रही हैं, जितना पुरुष चैंपियनशिप के दौरान दिया जाता है। शायद इसीलिए फीफा ने भी ठान लिया है कि इस बार इन खेलों का प्रसारण अधिकार वह किसी को नहीं देगा। इसलिए यूरोप के दर्शक इस साल लगता है कि इन खेलों का आनंद अपने टीवी पर नहीं ले सकेंगे।
फीफा ने आरोप लगाया है कि प्रसारण कंपनियां दस से सौ फीसद कम फीस देने पर अड़े हुए हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जायेगा। दुनिया की आधी आबादी यानी महिलाओं को खुलकर अपने अधिकार के लिए फीफा के साथ हो जाना चाहिए। भले ही इस साल का विश्वकप का प्रसारण वे नहीं देख पाएं, लेकिन भविष्य के लिए यही उनके लिए बराबरी के अधिकार को सुनिश्चित करेगा।
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर।
लापरवाही के गड्ढे
आए दिन खुले बोरवेल में मासूम बच्चों के गिरने और जान गंवाने के समाचार पढ़कर मन द्रवित हो जाता है। यह दुर्घटना नहीं मानवीय लापरवाही है। हजारों-लाखों खर्च कर बोरवेल खुदवाए जाते हैं। पानी नहीं निकलने पर गड्ढे खुले छोड़ दिए जाते हैं। जबकि शासन का आादेश है कि बोरवेल खुला नहीं छोड़ा जाए। उन पर ढक्कन नहीं लगाने से इस तरह के गंभीर हादसे होते हैं। ऐसी लापरवाही के लिए जमीन मालिक और बोरवेल मालिक पर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करना चाहिए।
बचाव अभियान में बहुत ज्यादा मानव श्रम एवं धन खर्च होता है। वह भी वसूल करना चाहिए। बोरवेल मशीन के बीमे में तृतीय पक्ष बीमा कवर में बच्चों को चोट लगने या मृत्यु होने की जोखिम भी शामिल करना चाहिए। बोरिंग की अनुमति देने वाले सक्षम अधिकारी को बोरिंग के पश्चात ढक्कन लगवाने व अन्य सुरक्षा के इंतजाम प्रत्यक्ष जाकर अवलोकन करना चाहिए। तभी दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी।
अरविंद जैन ‘बीमा’, उज्जैन।
धोनी की चमक
पीला समंदर एक बार फिर से उमड़ा है। महेंद्र सिंह धोनी का जादू एक बार फिर चला है। पांचवीं बार बनी चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स। जहां-जहां माही गए, वहां-वहां पीले के रंग में रंग गया स्टेडियम। महेंद्र सिंह धोनी की टीम ने आइपीएल में फिर अपनी बादशाहत कायम की। आइपीएल इतिहास में पहली बार ‘रिजर्व डे’ पर खेले गए फाइनल मुकाबले में चेन्नई ने गत विजेता गुजरात टाइटंस को डकवर्थ लुईस नियम से पांचवां विकेट से जीत दर्ज करते हुए अपना पांचवा आइपीएल खिताब जीता।
अतीत में सीएसके की सफलता का मुख्य कारण धोनी का करिश्माई नेतृत्व रहा है। वे शांत और संयमित व्यवहार के साथ मैदान पर त्वरित और निर्णायक फैसले लेने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उनका नेतृत्व कौशल टीम को एक साथ लाने और उन्हें एकजुट इकाई के रूप में खेलने में मदद करने में सहायक रहा है।
धोनी युवा प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें मौके देने से परहेज नहीं करते, जो टीम की सफलता का बड़ा कारण रहा है। वहीं ट्राफी जीतने के बाद आइपीएल से संन्यास की अटकलों को खारिज करते हुए महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि दर्शकों के प्यार को देखते हुए उन्हें तोहफा देने के लिए वह अगले सत्र में फिर खेलेंगे। देश के सबसे सफलतम कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी हैं, जिन्होंने 2007 में टी-20 विश्व कप, 2011 में एकदिवसीय विश्व कप, 2013 में आइसीसी चैंपियंस ट्राफी, 2010, 2011, 2018, 2021 और अब 2023 में भी आइपीएल चैंपियंस ट्राफी अपने नाम किया।
सदन जी, पटना, बिहार।
अपनी साइकिल
चारों ओर अपनी गाड़ियों के शोर और दिखावे के बावजूद आज भी हमारे लिए साइकिल की उपयोगिता कम नहीं हुई है। कोरोना काल के दौरान और उसके बाद भी साइकिल की बिक्री बाजार में बढ़ी है। साइकिल चलाना हर तरफ से लाभदायक है। इससे शारीरिक सेहत बरकरार रहती है। प्रतिदिन साइकिल चलाने से व्यक्ति का शक्कर का स्तर और रक्तचाप सामान्य रहता है।
सच यह है कि साइकिल चलाना एक संपूर्ण व्यायाम है। पर्यावरण के लिए भी यह नुकसानदायक नहीं है, क्योंकि अन्य वाहनों की तरह इससे धुआं नहीं निकलता है और वायु प्रदूषण नहीं होता है। डेनमार्क और नीदरलैंड के लोग सबसे ज्यादा साइकिल चलाते हैं। साइकिल लोगों के खर्च को भी कम करते है। भारत सहित संपूर्ण विश्व में साइकिल संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए।
अनित कुमार राय टिंकू, धनबाद।
समय रहते
कुछ ही दिनों में भीषण गर्मी से निजात मिलेगा और मानसून की दस्तक का स्वागत होगा। मानसून के आने के साथ ही लगभग सभी शहरों में जल भराव और जल जमाव की समस्याएं मुंह बाए खड़ी हो जाएंगी। बरसात के पहले नालियों और नालों के साफ-सफाई के दावे और आंकड़े केवल कागजों और जनता को दिखाने के लिए तैयार किए जाने लगेंगे।
हर वर्ष बरसात के मौसम के शुरू होने के साथ ही दिखावे के लिए किए गए कामों की पोल खुलने लगती है। अगर नालियों-नालों की साफ-सफाई और रखरखाव के काम पूरी ईमानदारी के साथ यथार्थ में हों तो बरसात का पानी लोगों की परेशानियों का कारण ही न बने। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी आम लोगों के गुस्से का सामना न करना पड़े। अभी भी समय है, समय रहते जागना जरूरी है।
नरेश कानूनगो, देवास, मप्र।