जिस समाज में महिला को देवी का स्वरूप माना जाता है, उसी समाज में एक गर्भवती महिला के साथ क्रूरता की हदें लांग दी जाती है। आखिर हम किस समाज में जी रहे हैं? क्या आधी आबादी को इसी तरह से समानता का अधिकार दिया जा रहा है? वायरल वीडियो के मुताबिक ससुराल पक्ष के लोगों ने महिला के कंधे पर एक लड़के को बैठा कर तीन किलोमीटर तक ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर नंगे पैर घुमाया और रास्ते भर उसे लाठी-डंडे से पीटते रहे। पुलिस के मुताबिक वीडियो नौ फरवरी का है।

यह घटना पुलिस प्रशासन पर भी सवाल खड़े करती है। इतनी बड़ी घटना घट जाती है और कारवाई केवल नाममात्र की जाती है। जब सरकार से लेकर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हैं कि महिला के साथ हुए किसी भी तरह के अमानवीय व्यवहार पर कठोरतम कार्रवाई की जाए, बावजूद इसके इस गंभीर मामले में पुलिस ने आरोपी ससुर, जेठ और देवर पर मात्र मारपीट का केस दर्ज कर जमानत पर छोड़ दिया।

जरुरी है कि इस मामले में ठोस कार्रवाई की जाए। इस तरह की घटनाएं समाज पर भी बड़ा धब्बा हैं। एक महिला के साथ पूरे समाज के सामने क्रूरता की जाती रही और समाज के लोग तमाशबीन बन कर देखते रहे। क्या लोगों की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वे इस तरह की घटना की सूचना तुरंत पुलिस को देते और बीचबचाव कर महिला को बचाते।
’गौतम एस.आर, भोपाल

महंगाई की मार

कोरोना काल में आम आदमी आर्थिक संकटों से तो घिर ही गया था, अब महंगाई ने जीना मुहाल कर दिया है। पिछले कुछ समय से लगातार पेट्रोल, डीजल और रसोई गैसों के दाम में बढ़ोतरी ने हालात और कठिन बना दिए हैं। अगर आम आदमी का ईंधन इसी तरह महंगा होता रहा तो फिर से घरों में लकड़ी-कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन इस्तेमाल करने की नौबत आते देर नहीं लगेगी।
’अरुणेश कुमार, मोतिहारी