कोई भी देश अपने आदर्शों और ज्ञान क्षमता पर गर्व करता है। ऐसा वह उस ज्ञान के महत्त्व और अपने नागरिकों को ज्ञान हेतु प्रेरित करने के लिए करता है। भारतवर्ष में चाणक्य, आर्यभट्ट, गौतम बुद्ध, वेदव्यास जैसे महान मनीषी और चिंतक हुए। इन सभी ने ज्ञान को माध्यम बना कर भारतीय पराथितियों को समझा और उसका विश्लेषण किया।
चाणक्य ने तो किसी राष्ट्र को मजबूत करने के लिए हर संभव पक्ष पर अपने सिद्धांत दिए। लेकिन इसे साथ-साथ कुछ गलत भी हुआ। जैसे चाणक्य को भारत का मैकियावेली कहा जाता है, जबकि ठीक यह होता कि यूरोप का चाणक्य मैकियावेली है, क्योंकि मैकियावेली चाणक्य के बाद पैदा हुए। ऐसे ही भारत में चार्वाक दर्शन ने न्यूटन जैसे या उनसे बेहतर सिद्धांत दिए, लेकिन न पढ़े जाने के कारण आज बहुत से भारतीय न्यूटन से तो परचिच हैं लेकिन चार्वाक से नहीं। निश्चित ही इसमें केवल आलोचना करने से काम नहीं चलेगा, लेकिन फिर भी ऐसा व्यवहार में है। इसलिए व्यक्ति को अपनी ज्ञान परंपरा पर गर्व महसूस करना चाहिए। यह अंधभक्ति नहीं है, बल्कि यह सम्मान है जिससे हम अभी तक अवगत नहीं हुए थे।
उत्तम त्रिपाठी, प्रयागराज
समूह की अहमियत
इंडोनेशिया के बाली में समूह बीस (जी 20) देशों का शिखर सम्मेलन संपन्न हो चुका है। गौरतलब है कि बीस देशों का यह समूह दुनिया का सबसे ताकतवर समूह है, जिसमें विश्व की कुल अर्थव्यवस्था का पिच्यासी फीसद हिस्सा, विश्व आबादी का सड़सठ फीसद हिस्सा और कुल वैश्विक व्यापार का पिच्यासी फीसदी हिस्सा शामिल है। इस समूह में भारत की प्रासंगिकता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगले महीने से भारत इसका अध्यक्ष होगा और अगले साल जी 20 देशों की बैठक भी दिल्ली में होगी।
चूंकि इस संगठन में अमेरिका, जापान, फ्रांस, यूरोपीय यूनियन के देश और रूस जैसे बड़े देश शामिल हैं जो सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसे में इन सभी देशों को भारत एक साझे मंच के जरिए प्रभावपूर्ण तरीके से साध सकता है। इसके साथ ही विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन के लिए निर्धारित कोष में अनुदान देने के लिए भी प्रोत्साहित कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत की तटस्थ नीति से पश्चिमी देशों के मन में उभरी गलतफहमी को भी भारत दूर कर सकता है और दुनिया को बता सकता है कि भारत कभी भी किसी भी युद्ध का समर्थन नहीं करता और सभी विवादों व असहमतियों का हल विवेकपूर्ण और शांतिपूर्ण तरीके से निकालने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। आज भारत के लिए सबसे बड़ी सामरिक चुनौती चीन से है।
इस समूह के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र, जो भारत के लिए हर लिहाज से महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, को निर्बाध आवागमन क्षेत्र के रूप में पुन: विकसित कर सकता है। इसके अलावा जब दुनिया पर मंदी का खतरा गहराता जा रहा है, उस दौर में भी भारत की वृद्धि दर विश्व में संतोषजनक बनी हुई है। ऐसे में जी 20 समूह के देश आपसी सहयोग और समन्वय से दुनिया को आर्थिक मंदी से बचा सकते हैं।
आदित्य पांडेय, सुल्तानपुर।