इस साल के चंद महीने गुजरने के बाद ही महामारी ने देश में दस्तक दी, जिसे काबू करने के लिए पूर्णबंदी लगाई गई। इसने आर्थिक गतिविधियों को पूरी तरह ठप कर दिया। प्रवासी मजदूरों को पलायन करने को मजबूर किया और लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ। सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर घर जाने वाले मजदूरों की तस्वीरें और दर्द बयान करती कहानियां हमेशा लोगों के जेहन में रहेंगी।
यही नहीं, इस साल देश ने एक बेहद दुखद दंगा भी देखा और विरोध प्रदर्शन भी झेला। किसानों का आंदोलन अब भी जारी है। इसके साथ-साथ सुर्खियों में आई ऐसी तमाम घटनाएं रहीं, जिसने देशवासियों को दुखभरी यादें दीं। ये सभी प्रलय स्वरूप यादें हैं जो लोगों के दिल में चिरकाल तक याद रहेंगी और भविष्य में लोग अपने बच्चों को ये कहानियां सुनाते रहेंगे। हमें यह उम्मीद है कि वर्ष 2021 हम और हमारे परिवार के साथ-साथ हमारे देशवासियों और पूरे विश्व के लोगों के लिए सुखदायी और प्रफुल्लित वाला वर्ष रहेगा।
’संजय कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड</p>
हल के लिए
कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान एक माह से ज्यादा दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर कड़ाके की ठंड में बैठे हुए हैं। यह बहुत ही दुख की बात है कि कृषि जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर इतना लंबा समय क्यों लग रहा है।
सरकार को किसानों से बात करके उनकी समस्या का हल निकालना चाहिए था। आंदोलन में अब तक तीन दर्जन से ज्यादा किसानों की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में यह सब कहना सही नहीं होगा कि किसान गुमराह हैं। ये वही किसान हैं जिन्होंने हरित क्रांति को कामयाब साबित किया था।
ऐसे में यही लग रहा है कि किसान अपनी बात बिना मनवाए यहां से नहीं जाएंगे। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी उम्र के किसान आंदोलन में मौजूद हैं। सरकार को अपनी ओर से पहल कर किसानों की मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। हमारा देश पहले ही अघोषित आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है। अगर ऐसे में किसान महीनों तक सड़कें जाम करके बैठे रहेंगे तो आर्थिक स्थिति और गंभीर हालत में पहुंच सकती है।
आशीष गुसाईं,नई दिल्ली