दुनिया भर के लोग अमेरिका के चकाचौंध भरी जीवनशैली को पाने के लिए बेताब रहते हैं। उन्हें लगता है कि इस धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह अमेरिका में ही है। मगर बहुत कम लोगों का ध्यान इस ओर कभी जाता होगा कि उच्च गुणवत्ता वाले जीवन शैली और रहन-सहन के साथ समाज में एक खतरनाक और जानलेवा बुराई वहां की संस्कृति बन चुकी है। वह है बंदूक की हिंसा से लगातार हर दिन मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होना। कुछ समय पहले अभिनेता एलेक बाल्दविन द्वारा एक फिल्म की शूटिंग के दौरान चलाई गई गोली से फिल्म की छायाचित्र निर्देशिकी हलीना हचिन्स की मौत हो गई।
दरअसल, इस तरह की वारदात उस देश में हर आधे घंटे में होते हैं। बंदूक हिंसा से वहां साल 2020 में 19,400 लोग मारे गए थे। कहा जाता है कि 2021 में यह आंकड़ा और ऊपर की तरफ गया है। हर दिन 55 लोग मारे जा रहे हैं। दुनिया अमेरिका का पीठ थपथपाती है कि उसके चौकन्नेपन के कारण नौ-ग्यारह के बाद से एक भी आतंकी घटना सामने नहीं आई है। आतंकवादियों की जरूरत ही क्या है जब खुद अमेरिकी समाज ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा हो?
- जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</li>
सहयोग का सफर
भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच एक अहम समझौता हुआ है, जिसमें आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पत्र हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता ज्ञापन एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने का प्रयास है, जिससे दोनों ही देश एक दूसरे के आपदा प्रबंधन तंत्र से लाभान्वित हों। तुर्कमेनिस्तान 40 अरब अमेरिकी डालर से अधिक की अर्थव्यवस्था है, लेकिन भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार इसकी क्षमता से कम है। भारत-तुर्कमेनिस्तान में विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगोकी (आइसीटी) क्षेत्र में अपनी आर्थिक उपस्थित बढ़ा सकता है। इससे भविष्य के व्यापार संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी। तुर्कमेनिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है और हमेशा से भारत का सहयोगी रहा है।
- समराज चौहान, कार्बी आंग्लांग, असम</li>