स्वच्छ पर्यावरण का जीवन में बहुत महत्त्व छिपा नहीं है, लेकिन दिन-प्रतिदिन दूषित पर्यावरण लोगों के लिए एक जटिल समस्या बनती जा रही है। इसलिए पर्यावरण प्रदूषण रोकने के ठोस उपायों की आवश्यकता है। साथ ही इसके तहत पर्यावरण प्रदूषित करने वाली फैक्टरियों के विरुद्ध तेजी से कार्रवाई होनी चाहिए। पर्यावरण हितैषी उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। हानिकारक कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर जैविक और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों पर जोर दिया जाना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव आज हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। सरकार इस पर नियंत्रण के लिए कदम तो उठा रही है, लेकिन इसके लिए सख्ती बरतने की जरूरत है। लेकिन ऐसे में पर्यावरण संरक्षण रखने की जिम्मेदारी न सिर्फ सरकार की है, बल्कि इस धरा पर अपना जीवनयापन करने वाले सभी नागरिकों की भी हैं। इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हमें एक साथ मिलकर उचित कदम उठाना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इस दूषित पर्यावरण के चपेट में आने से बचे।

सबक की जरूरत

जिस तरह चीन लिखित सीमा समझौते की अवहेलना कर रहा है और भारत के पड़ोसी देशों को कर्ज जाल में फंसा कर उन्हें बेबस कर भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है, वह केवल भारत के लिए चिंता की बात ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों तथा परंपरा के भी खिलाफ है। ऐसी स्थिति में भारत को अपने मित्र तथा चीन के शत्रु देशों से समर्थन तथा सहायता लेने के साथ-साथ सुरक्षा परिषद में भी इस मामले को उठाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान करने वाले सभी पांच वीटो पावर वाले देशों को चीन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास करके उसे इस किस्म की हरकतों से बाज आने की चेतावनी देनी चाहिए।

  • शाम लाल कौशल, रोहतक, हरियाणा