किसानों के हितों की रक्षा के दावे हमेशा होते रहे हैं। सरकार बदलती है, किसानों की दशा सुधारने के दावे होते हैं, लेकिन ये दावे केवल जुबानी जमाखर्च बन कर रह जाते हैं। किसानों के हित में जो प्रयास हुए भी, वे बदलते वक्त के लिहाज से नाकाफी ही साबित हुए। किसानों की मुसीबत शुरू से अधिक उत्पादन करने को लेकर बनी हुई थी। नई तकनीक और संसाधन ने उत्पादन तो बढ़ाया, लेकिन किसानों को उन उत्पादों का उचित दाम नहीं मिलता। फसल चौपट होने पर नुकसान के बीमा का लाभ भी किसानों को नहीं मिलता, मिल भी गया तो जैसे किसानों को उनका हक नहीं, खैरात दी जा रही हो।

किसानों का दर्द और उनका इलाज केवल कागजों तक सीमित होता है। अभी कृषि और किसान की हालत इतनी बदतर है कि देश के युवाओं का कृषि से मोहभंग हो गया है। किसानों के उत्थान के लिए स्वामीनाथन कमेटी ने सरकार को कई सिफारिशें की हैं। लेकिन इन्हें आदज तक लागू नहीं किया गया। उच्च गुणवत्ता वाले बीज सही दामों में किसान को उपलब्ध हो पाना एक बड़ी चुनौती रहती है।

पचास से से ज्यादा ऐसे कीटनाशक हैं जो दुनिया के बाकी देशों में प्रतिबंधित है पर भारत सरकार ने उनको हमारे देश में अब भी प्रयोग करने की इजाजत दी हुई है। इनकी वजह से किसानों में भी दिल, कैंसर व अन्य बीमारिया अब आम हो गई हैं। किसानों की आत्महत्या को लेकर महाराष्ट्र बदनाम है, लेकिन देश के दूसरे राज्यों में भी स्थिति कमोबेश यही है।
’संतोष पटेल, मऊ, (उप्र)

बेमिसाल कामयाबी

मिताली राज भारत की एक बेमिसाल क्रिकेटर बन चुकी हैं। उन्होंने दुनिया में भारत का परचम लहराया है। विश्व की दूसरी महिला खिलाड़ी एवं भारत की पहली महिला क्रिकेटर बनने का सौभाग्य मिताली राज को प्राप्त हुआ है जो भारत के क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा। मिताली का यह प्रयास भारतीय महिला क्रिकेटर की राह को एक ऊंचाई पर ले जाने का एक सुंदर प्रयास है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन पूरे करने की मिताली की यह कामयाबी साधरण उपलब्धि नहीं है।

यह कामयाबी हासिल करने वाली वे विश्व की दूसरी महिला क्रिकेट खिलाड़ी बन चुकी हैं। मिताली राज से पहले सिर्फ इंग्लैंड की चारलेट एडवर्ड का नाम है जो अब क्रिकेट से संन्यास ले चुकी हैं। मिताली राज अब तक तक पचहत्तर अर्धशतक और आठ शतक जमा चुकी हैं। उनके नाम एक दोहरा शतक भी है जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ वर्ष 2002 में बनाया था, जो आज भी महिला क्रिकेट के इतिहास में एक रिकॉर्ड के रूप में शामिल है।
’डा. अशोक, पटना</p>