‘नशे का जाल’ (संपादकीय, 7 दिसंबर) पढ़ा। पंजाब में नशीले पदार्थों के बढ़ते सेवन और सरकार के इस संदर्भ में कोई कारगर नीति तथा उपाय न अपनाने के कारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को फटकार लगाने और पुलिस को इसके लिए जवाबदेह बनाना निश्चित तौर पर अहम खबर है। पंजाब में एक के बाद एक राजनीतिक दल की सरकारें आर्इं, सभी ने इस समस्या के समाधान के लिए चुनावों से पहले आश्वासन दिया! लेकिन राजनेताओं, प्रशासन और आला पुलिस अफसरों की मिलीभगत के कारण कुछ भी नहीं हो सका।

पंजाब में नकली शराब बनाने का धंधा अपनी चरम सीमा पर है। पुलिस प्रशासन को पता है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। हाल ही में नकली शराब पीने से कुछ लोगों की मृत्यु हो गई थी, लेकिन सरकार के कान पर जूं भी नहीं रेंगी। आए दिन ड्रोन द्वारा नशीले पदार्थों की खेप की खेप पंजाब में उतर रही है। कुछ मामलों में सरकार इन नशीले पदार्थों को जब्त भी कर लेती है, लेकिन बहुत बार सरकार को पता भी नहीं चलता।

नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले लोगों के तार अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ जुड़े हुए होते हैं। वे स्थानीय प्रशासन को अपने धन के बल पर प्रभावित कर लेते हैं और यह व्यापार चलता रहता है। इस तरह नशीले पदार्थों का सेवन करने से पंजाब में नवयुवकों की नस्ल ही तबाह हो रही है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को इस समस्या को हल न करने के लिए फटकार लगाई है और सरकार को आदेश दिया है कि नशीले पदार्थों के उत्पादन, व्यापार तथा सेवन रोकने के लिए उसने जो उपाय अपनाए है, उसके बारे न्यायालय में हलफनामा पेश करें।

हालांकि चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब में नशीले पदार्थों के प्रयोग, उत्पादन और कारोबार पर प्रतिबंध लगाने का आश्वासन दिया था, पर आज तक जिस तरह पंजाब में आपराधिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है और पंजाब में नशीले पदार्थों का व्यापार तथा सेवन बढ़ रहा है, उसे देख कर सरकार की निष्क्रियता का ही पता चलता है।

इस मसले पर एक तरह से आम आदमी पार्टी की सरकार ने वादा करके उसे दरकिनार कर दिया है और इस तरह जनता के साथ छल किया है। अब पंजाब सरकार सर्वोच्च न्यायालय को इस संदर्भ में क्या जवाब देती है, यह देखना अभी बाकी है। बस यह ध्यान रखने की जरूरत है कि सरकारें आय के स्रोत का हवाला तो देती हैं, मगर हकीकत यह है कि सिर्फ इस वजह से पीढ़ियां तक बर्बाद हो रही हैं। अगर राजस्व की कीमत पर समूची नस्ल तबाह हो रही है तो यह सोचने की जरूरत है कि सरकारों के लिए किसे बचाना प्राथमिक होना चाहिए।
शाम लाल कौशल, रोहतक, हरियाणा

सुरक्षा का तकाजा

फिलहाल सुर्खियों में आया ‘साइबर अटैक’ दरअसल एक आनलाइन हमला है, जिसके माध्यम से वेबसाइटों को हैक करके देश की शिक्षा, रक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, बैंकिंग आदि से जुड़ी हुई महत्त्वपूर्ण और गोपनीय जानकारियां साइबर अपराधी किसी देश और वहां के नागरिकों को भारी क्षति पहुंचा सकते हैं। हैकर किसी देश की अर्थव्यवस्था को भी तहस-नहस कर सकते हैं। आज के दौर में साइबर हमला एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका है।

दुनिया भर में साइबर हमले की घटनाएं बढ़ रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। प्रतिद्वंदी देश एक दूसरे की गोपनीय जानकारियां हासिल करने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। सरकारी एजेंसियों के लिए यह आवश्यक है कि किसी भी प्रकार के डेटा के दुरुपयोग से बचने के लिए नेटवर्क में मौजूद उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए। भारतीय कंप्यूटर प्रतिक्रिया टीम साइबर हमले से बचने के लिए क्रोम ब्राउजर को अद्यतन रखने के भी निर्देश देती है।
ललित महालकरी, इंदौर</p>