महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार निर्भया फंड के दुरुपयोग संबंधी आरोपों से घिरती नजर आ रही है। तीस करोड़ रुपए के निर्भया फंड से खरीदे गए सरकारी वाहन बोलेरो, अर्टिगा आदि को वीआइपी सुरक्षा प्राप्त विधायकों की सुरक्षा में लगा दिए जाने का आरोप है। महाराष्ट्र में सत्ता के गलियारों में यह मुद्दा जोर पकड़ चुका है और सरकार को जवाब देते नहीं बन रहा है।

यह तथ्य सामने आ चुका है कि सरकार के द्वारा खरीदे गए इन वाहनों को महिला सुरक्षा के लिए थाने में लगाए जाने के बजाय विधायकों की सुरक्षा में लगा गए थे, क्योंकि यह धन केंद्र सरकार के द्वारा राज्य सरकारों को दिया जाता है। लोगों को भी राज्य सरकार से सवाल जवाब करना चाहिए। वर्ष 2012 में दिल्ली के निर्भया से बलात्कार और हत्या के बाद 2013 में निर्भया कोष का सृजन किया गया था, ताकि पीड़ित महिलाओं को मदद के रूप में कुछ धन उपलब्ध कराया जा सके।

इस तथ्य के उजागर होने के बाद महिलाओं के प्रति अपराधों पर रोक और पीड़ित परिवार को मदद देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को और अधिक गंभीर और संवेदनशील होना पड़ेगा, तभी निर्भया कोष की सार्थकता का कोई अर्थ है।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली