आलेख ‘पराली के धुंए में उड़ते सवाल’ (17 नवंबर) अत्यंत सामायिक और विचारोत्तेजक था। इसमें बिलकुल सही कहा गया है कि ‘बेशक पराली का जलाया जाना एक गंभीर समस्या है, लेकिन सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हर साल दो महीने तक, सियासत के अलावा इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कुछ नहीं किया जाता।’ सभी सरकारें जानती हैं कि किसानों के पास इस समस्या को हल करने के लिए न तो पर्याप्त समय होता है और न पर्याप्त धन, पर वे यह भी भली भांति समझती हैं की पराली का जलना दिल्ली और आसपास के वायु प्रदूषण के लिए एक स्थायी और जानलेवा समस्या है। इसलिए राजनीति को परे रखते हुए, प्रत्येक राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इस जानलेवा समस्या को राष्ट्रीय संकट घोषित करके, युद्ध स्तर पर सामूहिक रूप से, इस गंभीर संकट के स्थायी समाधान हेतु ठोस प्रयास करने चाहिए।